शिक्षा निदेशालय द्वारा आवंटन के बाद अनुचित आधार पर ईडब्ल्यूएस/डीजी कैटेगरी के तहत स्टूडेंट को एडमिशन देने से स्कूल इनकार नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2023-06-03 07:22 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि शिक्षा निदेशालय द्वारा वैध आवंटन होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या वंचित समूह कैटेगरी के तहत स्टूडेंट को एडमिशन देने से इनकार नहीं कर सकते।

जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि कोर्ट इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि समाज के वंचित समूहों को जीवन में आगे आने के समान अवसर दिए जाने चाहिए।

अदालत ने कहा,

"इसमें वंचित समूहों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंधित स्टूडेंट को अन्य बच्चों के साथ स्कूलों में पढ़ने का अवसर देना शामिल है, जिससे वे समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें।"

इसमें कहा गया कि यदि अनुचित आधार पर ईडब्ल्यूएस या डीजी कोटा के तहत आवेदकों को एडमिशन से वंचित किया जाता है तो कैटेगरी के तहत उपलब्ध सीमित सीटें बेकार हो जाएंगी।

अदालत ने कहा,

"ऐसी स्थिति को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटा के खिलाफ हर खाली सीट समाज के गरीब तबके के बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित करने का संकेत देती है।"

यह देखते हुए कि डीओई को ईडब्ल्यूएस या डीजी कोटा के तहत बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं और सीटें बहुत सीमित हैं, जस्टिस पुष्करणा ने कहा:

"इस प्रकार, एक बार ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटा के तहत एडमिशन के लिए आवेदक को डीओई द्वारा वैध रूप से स्कूल आवंटित किया गया तो स्कूल इस तरह की आपत्तियां उठाकर ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटा के तहत स्टूडेंट को एडमिशन से इनकार नहीं कर सकते हैं।"

अदालत ने जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के खिलाफ क्लास 1 में ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटा के तहत एडमिशन देने के आदेश का पालन नहीं करने के लिए तीन स्टूडेंट द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

स्टूडेंट दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित ड्रॉ के ड्रा में सफल रहे और उन्हें संबंधित स्कूल आवंटित किया गया, लेकिन स्कूल द्वारा उठाई गई विभिन्न आपत्तियों के कारण उन्हें एडमिशन से वंचित कर दिया गया।

याचिकाओं को स्वीकार करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता छात्रों को ईडब्ल्यूएस या डीजी कोटा के तहत क्लास-1 में एडमिशन लेने के लिए एक सप्ताह के भीतर स्कूल जाने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा,

"प्रतिवादी स्कूल को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों को तुरंत संसाधित करे और मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2023-2024 के लिए क्लास -1 में ईडब्ल्यूएस/डीजी कोटा के तहत एडमिशन दे।"

जस्टिस पुष्करणा ने कहा कि ईडब्ल्यूएस या डीजी कोटा के तहत किसी बच्चे को एडमिशन से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत ऐसे बच्चों के अधिकारों के साथ-साथ शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत उन्हें उपलब्ध अधिकारों का उल्लंघन होगा।

अदालत ने कहा,

"प्रतिवादी स्कूल भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता, जो राज्य पर 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मौलिक अधिकार के रूप में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए स्पष्ट दायित्व प्रदान करता है।"

इसमें यह भी कहा गया कि आरटीई एक्ट के तहत स्कूल एडमिशन स्तर पर अपनी क्लास की उपलब्ध या घोषित ताकत के खिलाफ अपनी 25% सीटों को आरक्षित करने के लिए बाध्य है।

केस टाइटल: शहनाज खातून और अन्य बनाम जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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