एससी कॉलेजियम ने पिछले साल हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 39 महिलाओं के नाम प्रस्तावित किए, अब तक 27 सिफारिशें स्वीकृत: कानून मंत्रालय

Update: 2022-04-04 05:18 GMT

कानून और न्याय मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया कि एक जनवरी, 2021 से 30 मार्च, 2022 तक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 39 महिलाओं को हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की है। इनमें से 27 महिलाओं की नियुक्ति की गई और शेष 12 नाम विभिन्न चरणों में विचाराधीन हैं।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सांसद वी.के. श्रीकंदन द्वारा हाईकोर्ट बेंचों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर पूछे गए सवालों के जवाब में उक्त जानकारी:

"(क) क्या हाईकोर्ट कॉलेजियम ने अधिक महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है? यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

(ख) क्या महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व को देखते हुए पीठ में 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व की मांग पर विचार किया जा रहा है? यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

(ग) क्या हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित 37 महिलाओं में से केवल 17 महिलाओं को ही न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है; और

(घ) यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं?"

कानून मंत्री ने जवाब दिया कि संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति किसी भी जाति या वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण प्रदान नहीं करती। उन्होंने बताया कि कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से संवैधानिक न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान प्रणाली में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग / महिलाओं / अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी वर्गों को सामाजिक विविधता और प्रतिनिधित्व प्रदान करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से न्यायपालिका पर है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं कर सकती है जिसकी सिफारिश उच्च न्यायालय कॉलेजियम/सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने नहीं की है।

इसके अलावा कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा,

"हालांकि, सरकार उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता के लिए प्रतिबद्ध है और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जाति से संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों पर उचित विचार किया जाए। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं के नामों पर गौर किया जाए।"

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