पोक्सो एक्ट की धारा 33(5) की कठोरता पीड़ित के वयस्क होने पर कम हो जाती है: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-07-04 10:01 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि आरोपी को अपना बचाव करने का अवसर दिया जाना चाहिए हाल ही में एक POCSO आरोपी की याचिका के तहत पीड़ित को जिरह के लिए वापस बुलाने की अनुमति दी।

अदालत ने समझाया कि अधिनियम की धारा 33 (5) केवल यह सुनिश्चित करने के लिए पेश की गई थी कि बच्चे को बार-बार अदालत में जांच के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए, इससे उसके दिमाग पर असर पड़ेगा। मौजूदा मामले में पीड़िता बच्चा नहीं थी और वह वयस्‍क हो चुकी है। इसलिए, पीड़ित को जिरह के लिए बुलाया जा सकता है ताकि आरोपी को अपना बचाव देने का अंतिम मौका दिया जा सके।

जस्टिस वी शिवगनम ने कहा,

अधिनियम की धारा 33(5) केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि बच्चे को बार-बार अदालत में जांच के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए, यह उसके दिमाग को प्रभावित करेगा। मौजूदा मामले में पीड़िता अब बच्चा नहीं है, वह बालिग हो चुकी है। इसलिए अधिनियम की धारा 33(5) लागू करके अभियुक्त जिरह के उद्देश्य से एक पीड़ित को वापस बुला सकता है।

मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 366 (ए) और पोक्सो अधिनियम की धारा 5(1), सहपठित धारा 6 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था। उन्होंने सीआरपीसी की धारा 311 के तहत पीड़िता और उसकी मां को वापस बुलाने के लिए आवेदन दायर किया था, ताकि उनके बयानों में कुछ विरोधाभास सामने आए, जिन्हें जिरह के समय संबोधित नहीं किया जा सका। निचली अदालत ने पीड़िता की मां को वापस बुलाने की अनुमति दी और साथ ही पीड़िता को वापस बुलाने की याचिका खारिज कर दी।

राज्य ने प्रस्तुत किया कि निचली अदालत का आदेश केवल पीड़ित लड़की के और उत्पीड़न से बचने के लिए पारित किया गया था और इसलिए कोई हस्तक्षेप जरूरी नहीं था।

अदालत ने टिप्पणी की कि पीड़िता के पिता द्वारा याचिकाकर्ता और पीड़िता के बीच कथित प्रेम संबंध के कारण शिकायत दर्ज की गई थी। यह भी माना गया कि घटना के समय याचिकाकर्ता की उम्र 17 वर्ष थी जो अब बालिग हो गई है। इसलिए आरोपी को अपना मामला साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए।

इस प्रकार, जिरह के लिए याचिका खारिज करने वाले निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया गया। अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी उसी दिन पीड़िता और उसकी मां से जिरह कर सकता है और उसे गवाहों को जुर्माने का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

केस टाइटल: शंकर बनाम राज्य

केस नंबर: CRL.O.P (MD) No.11427 of 2022

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 281

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