सरकारी खर्चे पर मदरसों में धार्मिक शिक्षा का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NCPCR को मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी

Update: 2023-05-18 08:41 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) को सरकारी खर्चे पर मदरसों में धार्मिक शिक्षा मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी। अदालत के सामने सवाल है कि क्या सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है और क्या यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 30 का उल्लंघन है?

जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने इस साल मार्च में एक मदरसे में शिक्षक के रूप में कार्यरत अजाज अहमद द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से इस मामले पर जबाव देने को कहा था।

बुधवार को एनसीपीसीआर स्वरूपमा चतुर्वेदी की वकील ने अर्जी दाखिल कर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। हस्तक्षेप आवेदन में, एनसीपीसीआर ने कहा है कि मदरसों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा पर्याप्त / व्यापक नहीं है और इस तरह, यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के खिलाफ है।

आवेदन में यह भी कहा गया है कि मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा वहां पढ़ने वाले छात्रों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती है।

आगे कहा गया है,

"एनसीपीसीआर को विभिन्न शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसमें कहा गया है कि मान्यता प्राप्त मदरसा में बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। उचित शिक्षा न मिलना देश के कानून का उल्लंघन है और बच्चों के साथ घोर अन्याय है।"

इन प्रस्तुतियों के मद्देनजर, एनसीपीसीआर द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन की अनुमति दी गई और एनसीपीसीआर को कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी गई। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणी भी की,

"मामला व्यापक और महत्वपूर्ण है। और इस मामले के परिणाम शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के अधिकारों को प्रभावित करेंगे।"

इसके अलावा, कोर्ट ने एस.एम. सिंह रायकवार, एडवोकेट, एमिकस क्यूरी के रूप में मामले में न्यायालय की सहायता करने को कहा है।

केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के संबंध में, भारत संघ की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने पहले ही संबंधित प्राधिकारी के अनुमोदन और हस्ताक्षर के लिए काउंटर एफिडेविट भेज दिया है और उन्हें उम्मीद है कि दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जाएगा।

राज्य सरकार के सरकारी वकील ने भी प्रस्तुत किया कि राज्य की ओर से एक जवाबी हलफनामा भी दो सप्ताह के भीतर दायर किया जाएगा।

इसे देखते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 30 मई की तारीख तय की है।

याचिकाकर्ता के वकील: आदिल हुसैन

प्रतिवादी के वकील: ए.एस.जी.आई., राकेश तिवारी, रक्षित राज सिंह, स्वरूपमा चतुर्वेदी

केस टाइटल - अजाज अहमद बनाम भारत संघ और 4 अन्य

केस साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एबी) 153

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




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