बिक्री समझौते में विशिष्ट निष्पादन की राहत मंजूर नहीं की जाएगी यदि विक्रेता के पास सूट संपत्ति पर कोई पूर्ण स्वामित्व न हो: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2022-04-19 04:33 GMT

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल के एक फैसले में कहा है कि विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 की धारा 17 के मद्देनजर यदि विक्रेता के पास विवादित संपत्ति पर पूर्ण अधिकार और स्वत्वाधिकार नहीं है, तो बिक्री समझौते को निष्पादित करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। प्रावधान में कहा गया है कि बिना स्वत्वाधिकार वाले व्यक्ति द्वारा संपत्ति बेचने या किराए पर देने का अनुबंध विशेष रूप से लागू करने योग्य नहीं है।

मामले के संक्षिप्त तथ्य

वादी ने दिनांक 23.07.2011 के बिक्री समझौते के विशिष्ट निष्पादन के लिए या वैकल्पिक रूप से 90,000/- रुपये की अग्रिम राशि को सूद एवं जुर्माने के साथ वापसी के लिए मुकदमा दायर किया।

वाद में यह तर्क दिया गया था कि प्रतिवादी ने विवादित सम्पत्ति की 4,10,000/- रुपये में बिक्री के लिए एक करार किया था, जिसके तहत 90 हजार रुपये अग्रिम के तौर पर दिये गये थे। बिक्री करार की शर्तों के अनुसार, वादी द्वारा 30 दिनों के भीतर शेष राशि का भुगतान किया जाना था और उसके बाद प्रतिवादियों को वादी या उसके नामित व्यक्ति के पक्ष में पंजीकृत बिक्री विलेख निष्पादित करना था।

वादी ने प्रतिवादी को विक्रय राशि के बकाये को स्वीकार करके विक्रय विलेख निष्पादित करने का आह्वान करते हुए प्रतिवादी को एक कानूनी नोटिस जारी किया। जवाबी नोटिस में यह दलील दी गयी थी कि प्रथम प्रतिवादी की बेटियां अपने हिस्से की सम्पत्ति बेचने के लिए सहमत नहीं थीं और प्रतिवादी 90 हजार रुपये का अग्रिम वापस करने को तैयार थे।

ट्रायल कोर्ट ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों पर विचार करते हुए अपने निर्णय के माध्यम से 90 हजार रुपये की अग्रिम राशि 2011 के बाद से मुकदमा दायर करने की तारीख तक 24 प्रतिशत सालाना की दर से तथा उसके बाद मुकदमा दायर करने की तारीख से विवाद में डिक्री की तारीख तक 12 प्रतिशत वार्षिक तथा उसके बाद पैसे के भुगतान तक छह प्रतिशत की दर से ब्याज देने का प्रतिवादियों को आदेश दिया था।

उक्त निर्णय एवं आदेश से व्यथित होकर वादी ने अपील वाद दायर किया जिसे खारिज कर दिया गया। उक्त निर्णय से व्यथित होकर द्वितीय अपील दायर की गई।

मुद्दा

क्या वादी विशिष्ट निष्पादन की राहत का हकदार है, क्योंकि विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 17 के मद्देनजर प्रतिवादी संख्या 1 की बेटियां समझौते की पक्षकार नहीं हैं?

कोर्ट के निष्कर्ष

अदालत ने रिकॉर्ड से देखा कि वादी विवादित संपत्ति में 1 प्रतिवादी की बेटियों के अधिकार से अवगत था, और उसके बावजूद वादी ने प्रतिवादी (मां और पुत्र) के साथ समझौता किया। वादी ने बिक्री के अनुबंध पर पुत्री के हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। बेटी के हिस्से के बारे में जानते हुए भी वादी द्वारा किये गये करार का तरीका उचित नहीं था, इसलिए उसे करार के विशिष्ट निष्पादन के मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती।

बिक्री समझौता अप्रवर्तनीय है, क्योंकि विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 17 के मद्देनजर बेटियों को छोड़कर प्रतिवादी के पास विवादित संपत्ति को बेचने का कोई पूर्ण अधिकार और स्वत्वाधिकार नहीं था।

इस प्रकार, विक्रय समझौते के विशिष्ट निष्पादन की अनुमति न देने का निचली अदालतों का निष्कर्ष तब तक विकृत नहीं है, जब तक बेटी विवादित संपत्ति में अपने हिस्से को अलग करने के लिए अपनी सहमति नहीं दे देती।

इस प्रकार द्वितीय अपील खारिज कर दी गई।

केस शीर्षक : गम्पाला नागा राजू बनाम शेख नज़ीरुन्निसा

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