अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षक अधिवक्ताओं के खिलाफ बिना सबूत के एफआईआर दर्ज करने से उनका मनोबल कम होगा: एचपी हाईकोर्ट

Update: 2021-07-27 12:21 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अदालत के आदेश के खिलाफ कथित तौर पर नारे लगाने के आरोप में एक वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए पिछले हफ्ते कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षक अधिवक्ताओं के खिलाफ बिना सबूत के एफआईआर दर्ज करने से उनका मनोबल कम होगा।

न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ अधिवक्ता विपुल प्रभाकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। प्रभाकर पर पर हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ नारे लगाने का आरोप था।

संक्षेप में तथ्य

24 जुलाई, 2019 को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिनियुक्त एक पुलिस दल ने पुलिस स्टेशन को संज्ञेय अपराधों के आयोग के बारे में सूचित किया, जिसके कारण तत्काल एफआईआर दर्ज की गई।

उक्त जानकारी के अनुसार जांच अधिकारी ने बताया कि 24 जुलाई, 2019 को दोपहर करीब 2.00 बजे वकीलों का एक समूह नारे लगाते हुए ए.जी. कार्यालय की ओर से सीटीओ, शिमला की ओर बढ़ा।

कथित तौर पर ये वकील हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ नारे लगा रहे थे। चूंकि इस न्यायालय के आदेश के खिलाफ नारे लगाना आईपीसी की धारा 143 और 188 के तहत अपराध है, इसलिए जांचकर्ता ने एफआईआर दर्ज की।

न्यायालय की टिप्पणियां

मामले के रिकॉर्ड को देखते हुए अदालत ने पाया कि मामला नारे लगाने से संबंधित था। हालांकि, जांच में जांचकर्ता द्वारा ऐसे किसी वकील की पहचान का खुलासा नहीं हुआ।

इसके अलावा, यह भी नोट किया गया कि यह भी उल्लेख नहीं किया गया कि नारों की भाषा क्या थी और न्यायालय के किस आदेश के खिलाफ अधिवक्ता विरोध कर रहे थे।

इस प्रकार, न्यायालय ने इसे एक उपयुक्त मामला पाया, जहां ऊपर उल्लिखित कार्यवाही को रद्द करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट के निहित अधिकार क्षेत्र को लागू किया जा सकता है।

इसलिए, अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी गई और सभी परिणामी कार्यवाही को भी रद्द कर दिया गया।

इस साल की शुरुआत में यह रेखांकित करते हुए कि शांतिपूर्ण जुलूस निकालना और नारे लगाना भारत के संविधान के तहत अपराध नहीं होगा और न ही हो सकता है, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक वकील के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 143, 147, 149, 353, 504, और 506 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ एक महिला अधिवक्ता और शिमला जिला न्यायालय बार एसोसिएशन की सदस्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अदालत के समक्ष उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया था।

केस का शीर्षक - विपुल प्रभाकर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य

Tags:    

Similar News