मृत व्यक्ति के खिलाफ जारी किया गया पुनर्मूल्यांकन नोटिस अमान्य होगा: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि मृत व्यक्ति के खिलाफ पुनर्मूल्यांकन नोटिस तब तक अमान्य होगा जब तक कि कानूनी प्रतिनिधि बिना किसी आपत्ति के मूल्यांकन अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में प्रस्तुत नहीं करते।
जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जस्टिस वाल्मीकि सा मेनेजेस की खंडपीठ ने कहा कि जहां कानूनी प्रतिनिधि आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस के अपने अधिकार का त्याग नहीं करते हैं, यह नहीं कहा जा सकता कि मृत व्यक्ति के खिलाफ जारी नोटिस आयकर अधिनियम के इरादे और उद्देश्य के अनुरूप है।
याचिकाकर्ता के पिता रमणीकलाल हरिलाल शाह के खिलाफ संबंधित आकलन वर्ष 2014-15 के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148, दिनांक 30 मार्च 2021 के तहत नोटिस जारी किया गया। नोटिस का जवाब याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें निर्धारण अधिकारी को सूचित किया गया कि निर्धारिती का 3 फरवरी, 2016 को निधन हो गया। मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति भी अधिकारी को प्रस्तुत की गई।
याचिकाकर्ता ने निर्धारण अधिकारी के समक्ष तर्क दिया कि मृत व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती या जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
एओ ने याचिकाकर्ता के तर्क को खारिज कर दिया। एओ ने देखा कि पुनर्मूल्यांकन नोटिस 30.03.2021 को जारी किया गया और नोटिस जारी करने के समय कार्यालय में कोई सूचना उपलब्ध नहीं थी, जिससे यह स्थापित किया जा सके कि रमणीकलाल एच. शाह जीवित है, जब तक कि विभाग को कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा सूचित नहीं किया गया। अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस वैध है और कानूनी वारिस के माध्यम से कार्यवाही जारी रखी जा रही है।
अदालत ने मूल्यांकन के आदेश और मांग का नोटिस रद्द कर दिया।
केस टाइटल: शैलेश शाह, स्वर्गीय श्री रमणीकलाल हरिलाल शाह बनाम आयकर अधिकारी के कानूनी उत्तराधिकारी
साइटेशन: रिट याचिका नंबर 3651/2022
दिनांक: 23.09.2022
याचिकाकर्ता के वकील: रतन सामली
प्रतिवादी के लिए वकील: सुरेश कुमार
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