राजस्थान हाईकोर्ट ने ट्रिपल तालक कहने के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

Update: 2023-01-05 09:15 GMT

Triple Talaq

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) की जयपुर बेंच ने पत्नी को तीन तलाक (Triple Talaq) कहने के आरोपी शख्स की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने राज्य और महिला को नोटिस जारी करते हुए मामले को 23 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

अदालत ने कहा,

"तब तक, याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।"

यह आदेश आरोपी-पति की ओर से दायर एक याचिका पर पारित किया गया। इसमें कहा गया था कि उसके द्वारा उसकी शिकायतकर्ता-पत्नी को दिया गया तलाक 'ट्रिपल तलाक' या 'तलाक-ए-बिद्दत' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है, जो मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 दंडनीय है।

उन्होंने प्रस्तुत किया कि उन्होंने तीन अलग-अलग तारीखों पर 'तलाक-उल-सुन्नत' का प्रयोग करके अपनी पत्नी को तलाक देने की घोषणा की।

पहली बार दिनांक 12.07.2019 को पंजीकृत डाक रसीद के अनुसार, दूसरी बार दिनांक 13.09.2019 तथा तीसरी यानी अंतिम बार दिनांक 07.11.2019 को की गई। तलाक का डीड 11.11.2019 को निष्पादित किया गया था।

इसके बाद 2022 में, पत्नी ने तीन साल के अंतराल के बाद, 2019 अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध के लिए एफआईआर दर्ज कराई।

पति ने दलील दी कि उसके द्वारा अपनी पत्नी को दिए गए 'तलाक-उल-सुन्नत' के विरोध में एफआईआर दर्ज की गई थी, जो कि 2019 के अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, शून्य, अवैध या दंडनीय नहीं है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि तलाक की घोषणा का उसकी पत्नी पर तात्कालिक और अपरिवर्तनीय तलाक का प्रभाव नहीं था, वर्तमान मामला अधिनियम की धारा 2(सी) की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता और इसलिए, अधिनियम की धारा 3 के तहत कोई अपराध नहीं हो सकता है।

पिछले साल एक मुस्लिम महिला ने तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। तलाक-ए-हसन के मुताबिक, एक मुस्लिम व्यक्ति महीने में एक बार तीन महीने तक 'तलाक' बोलकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील धनंजय शर्मा और राज्य की ओर से लोक अभियोजक अतुल शर्मा पेश हुए।

केस टाइटल: इनायत हाशमी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य

साइटेशन: एस.बी. आपराधिक विविध (याचिका) संख्या 10680/2022

कोरम: जस्टिस अनूप कुमार ढांड


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