राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियोंं और कोर्ट स्टाफ को सरकारी नीति/हाईकोर्ट एडमिन के खिलाफ सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने के बारे में सावधान किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी न्यायिक अधिकारियों और कोर्ट के कर्मचारियों के साथ-साथ अधीनस्थ न्यायालयों / न्यायाधिकरणों / विशेष न्यायालयों को चेतावनी दी है कि वे सोशल मीडिया पर "जिम्मेदारी से" कार्य करें।
हाईकोर्ट ने उल्लेख किया कि
"न्यायिक अधिकारी और न्यायालय के कर्मचारी सोशल मीडिया पर उन पोस्ट को फॉरर्वड, लाइक, डिसलाइक और उन पर कमेंट कर रहे हैं जो न केवल निंदनीय और अपमानजनक हैं, बल्कि सनसनीखेज भी हैं। वे उन मामलों पर सोशल मीडिया में राय व्यक्त करते हैं, जिनसे उन्हें कोई सरोकार नहीं है।"
हाईकोर्ट ने सोमवार को एक स्थायी आदेश जारी किया गया, जिसके तहत उच्च न्यायालय ने उपरोक्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी भी ऐसी पोस्ट को फॉरर्वड, लाइक, डिसलाइक और उन पर कमेंट करने से बचने को कहा है जो कि सरकार की नीतियों / उच्च न्यायालय प्रशासन के खिलाफ है।
उन्हें सोशल मीडिया पर किसी भी आधिकारिक संचार को आगे नहीं बढ़ाने के लिए भी कहा गया है, सिवाय इसके कि जब उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन के रूप में आवश्यक हो।
आदेश में आगे कहा गया है कि न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय के कर्मचारियों को कार्यालय समय के दौरान सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अदालत के काम को प्रभावित करता है और पूरे सिस्टम की गरिमा और प्रतिष्ठा को कम करता है।
उच्च न्यायालय ने चेतावनी दी है कि उपर्युक्त किसी भी शर्त का उल्लंघन राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 के प्रावधानों के तहत "कदाचार" के दायरे में होगा और उपयुक्त अनुशासनात्मक कार्रवाई को आकर्षित करेगा।
आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं