नागरिकता के विषय में प्रश्न, व्यक्ति को सुनते हुए मेरिट पर तय किए जाने चाहिए: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने महिला को विदेशी घोषित करने वाले एक पक्षीय आदेश को खारिज किया
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिकता किसी व्यक्ति के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है और आगे कहा कि किसी व्यक्ति की नागरिकता से संबंधित उठने वाले किसी भी प्रश्न को संबंधित व्यक्ति को सुनते हुए मैरिट के आधार पर तय किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने कहा कि,
"यह याद रखना चाहिए कि नागरिकता किसी व्यक्ति के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। नागरिकता के आधार पर कोई व्यक्ति एक संप्रभु देश का सदस्य बन जाता है और देश में कानून द्वारा प्रदत्त विभिन्न अधिकारों और विशेषाधिकारों का हकदार बन जाता है और जैसा कि यदि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर कोई प्रश्न उठता है, तो हमारी राय में संबंधित व्यक्ति को सुनते हुए मैरिट के आधार पर तय किया जाना चाहिए।"
कोर्ट ने यह अवलोकन रहीमा खातून द्वारा दायर याचिका से निपटने के दौरान किया। दरअसल, रहीमा खातून ने याचिका में धुबरी के फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित एक पूर्व पक्षीय आदेश को चुनौती दिया था जिसमें 9 जून 2016 को साल 1971 के तहत उसे अवैध प्रवासी के रूप में घोषित कर दिया गया था।
यह याचिकाकर्ता का मामला था कि ट्रिब्यूनल से नोटिस मिलने पर उसका बेटा उसकी जानकारी के बिना उसकी ओर से पेश हुआ। हालांकि मामले में तय विभिन्न तारीखों पर ट्रिब्यूनल के सामने पेश नहीं होने के कारण पूर्व पक्षीय आदेश पारित किया गया था।
कोर्ट ने रिकॉर्ड पर रखे सबूतों का अवलोकन करते हुए कहा कि फॉरेन ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता को बिना सुने आदेश पारित किया।
कोर्ट ने देखा कि नागरिकता किसी व्यक्ति के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है और किसी व्यक्ति की नागरिकता से संबंधित उठने वाले किसी भी प्रश्न को संबंधित व्यक्ति को सुनते हुए मैरिट के आधार पर तय जाना चाहिए। न्यायालय ने मामले को फॉरेन ट्रिब्यूनल के पास इस मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए भेजा कि क्या याचिकाकर्ता विदेशी है या नहीं और याचिकाकर्ता को 5 मई 2021 को या उससे पहले ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने अवलोकन के मद्देनजर याचिका की अनुमति दी और फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश को पलट दिया।
कोर्ट ने कहा कि,
" चूंकि याचिकाकर्ता की नागरिकता पर कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि याचिकाकर्ता को पहले ही फॉरेन ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित कर दिया गया है। इसलिए फॉरेन ट्रिब्यूनल याचिकाकर्ता को धुबरी के पुलिस अधीक्षक (बॉर्डर) के समक्ष 15 (पंद्रह) दिनों के भीतर पेश करेगी। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को उक्त प्राधिकारी की संतुष्टि के लिए 5000 रूपये का एक निजी बांड भरने और इतनी ही राशि का एक जमानदार पेश करने की शर्त पर जमानत देने का फैसला सुनाया। संबंधित पुलिस अधीक्षक (बॉर्डर) अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए याचिकाकर्ता से नियमों के तहत आवश्यक जानकारी और दस्तावेज प्राप्त कर सकते हैं। संबंधित पुलिस अधीक्षक (बॉर्डर) याचिकाकर्ता के आईरिस के फिंगर प्रिंट और बायोमेट्रिक्स को कैप्चर करने के लिए भी कदम सकते हैं।"
शीर्षक: रहीमा खातुन बनाम भारत संघ और अन्य।