पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में जांच कमजोर करने के लिए रिश्वत मांगने के आरोपी कांस्टेबल को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट के एक आरोपी से बरामद 280 ग्राम हेरोइन यानी व्यावसायिक मात्रा से जुड़े मामले में जांच को कमजोर करने के लिए 10 लाख रुपये मांगने के आरोपी कांस्टेबल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।
जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा,
"यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को पता था कि गोपाल सिंह (एनडीपीएस में आरोपी) ने ड्रग्स का कारोबार करके अवैध पैसा कमाया है और वह इतने बड़े केक का एक टुकड़ा चाहता था। पुलिस पार्टी का सदस्य होने के नाते, यह विनाशकारी हो सकता है यदि ऐसा कोई व्यक्ति अपनी ही टीम को धोखा देता है जिसके कारण कुछ लोग नशीली दवाओं के इस खतरे को कम करने के लिए काम कर रहे होंगे।"
अदालत पंजाब पुलिस के सिपाही मोहित बेदी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गोपाल सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ एनडीपीएस मामले की जांच बंद करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत मांगने के आरोप में उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 7 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गोपाल की पत्नी ने शिकायत की थी कि कांस्टेबल ने उसके पति को हिरासत में ले लिया, उसके घर पर छापा मारा और 4 कलाई घड़ियां, स्कूटी, कार की चाबी, मोबाइल फोन और कुछ नकदी ले ली।
आगे आरोप लगाया गया कि उसने शिकायतकर्ता से कहा कि अगर वह अपने पति को बचाना चाहती है कि उसे पैसे देदे। शिकायतकर्ता ने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ने के लिए उससे झूठा वादा किया और नकदी दे दी। इसके बाद उसे छापेमारी दल ने पकड़ लिया।
याचिका का विरोध करते हुए, राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि, "उन्हें इस मामले में पुलिस अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह भी जानना है कि याचिकाकर्ता और उसके साथी कितने अन्य मामलों में शामिल हैं।"
दलील पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता, जिसके पति को एनडीपीएस मामले में गिरफ्तार किया गया था, को याचिकाकर्ता और उसके साथियों द्वारा धोखाधड़ी में शामिल करके धोखा दिया जा रहा था और उन्होंने न केवल उसकी अचल संपत्ति छीन ली, बल्कि जितना संभव हो उतना पैसा भी एंठना चाहते थे।
जस्टिस चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एकत्र किए गए सबूत प्रथम दृष्टया पर्याप्त और गंभीर हैं और समाज के साथ-साथ पुलिस बल पर अपराध का प्रभाव "बड़े पैमाने पर" होता है।
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी।
साइटेशनः 2023 लाइव लॉ (पीएच) 211
टाइटलः मोहित बेदी बनाम पंजाब राज्य