पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित तौर पर हथियारबंद भीड़ द्वारा बंधक बनाए जाने वाले लोगों की याचिका पर आधी रात को सुनवाई की

Update: 2021-07-12 14:40 GMT

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने दो नाबालिगों सहित याचिकाकर्ताओं को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए रविवार आधी रात को सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि उन्हें कथित तौर पर किसानों की एक सशस्त्र भीड़ द्वारा बंधक बना लिया गया था।

याचिका में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यकर्ता के घर पर एक बैठक में भाग ले रहे थे, जब लगभग 500 हथियारबंद लोगों की भीड़ घर के बाहर जमा होने लगी।

याचिका में आगे कहा गया कि भीड़ ने किसानों के विरोध की आड़ में कथित तौर पर घर का बिजली कनेक्शन तोड़ दिया, पथराव किया और याचिकाकर्ताओं को अवैध रूप से हिरासत में ले लिया।

अधिवक्ता अनिल मेहता के माध्यम से बर्जेश्वर जसवाल और 14 अन्य द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अदालत से तत्काल निर्देश देने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति सुवीर सहगल ने याचिका में दर्ज शिकायतों का तत्काल संज्ञान लिया और तदनुसार यह सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए कि याचिकाकर्ताओं को सशस्त्र भीड़ की कस्टडी से सुरक्षित रूप से बाहर निकलने की अनुमति दी जाए।

आदेश में कहा गया है कि,

"प्रतिवादी संख्या 2 को व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ताओं और अन्य व्यक्तियों को हाउस नंबर 179, गुरु अर्जन देव कॉलोनी, राजपुरा, जिला पटियाला में अवैध रूप से कस्टडी में लिया गया है, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा के साथ सुरक्षित रूप से निकाला जाए और ध्यान रखा जाए कि उन्हें कोई नुकसान नहीं हो।"

इसके अलावा, पंजाब के महाधिवक्ता और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के लिए नोटिस भी जारी किया गया।

याचिका में कहा गया कि सशस्त्र भीड़ ने घर में आग लगाने की धमकी दी, क्योंकि सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की। हालांकि पुलिस कर्मी घटनास्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन यह आरोप लगाया गया कि हथियारबंद लोगों को गिरफ्तार करने के बजाय वे भीड़ के साथ सांठगांठ कर रहे थे। नतीजतन, याचिकाकर्ताओं ने अदालत से बंदी प्रत्यक्षीकरण पर एक रिट जारी करने और संबंधित अधिकारियों को सशस्त्र भीड़ की अवैध कस्टडी से याचिकाकर्ताओं को तुरंत रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

याचिका में कहा गया कि

"जीवन और स्वतंत्रता की अवधारणा किसी भी राज्य के प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए एक मजबूत आधार बन गई है क्योंकि यह राज्य को उसके नागरिकों से जोड़ती है, इसलिए यह किसी भी राज्य का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करें।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनिल मेहता, मयंक शर्मा और एसएस सिद्धू पेश हुए।

केस का शीर्षक: बर्जेश्वर जसवाल और अन्य। v. पंजाब राज्य और अन्य।

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