पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपर न्यायिक अधिकारियों से ज़मानत के आदेशों पर अमल सुनिश्चित करने और संपर्क विवरणों को अद्यतन करने को कहा
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को अपर न्यायिक अधिकारियों से कहा कि वे ऐसी व्यवस्था बनाएँ ताकि लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी पर मौजूद सभी मजिस्ट्रेटों के संपर्क संबंधी विवरणों को आधिकारिक वेबसाइट पर अद्यतन हो ताकि ज़मानत के आदेश पर अमल को सुनिश्चित किया जा सके।
न्यायमूर्ति हरनरेश सिंह गिल ने एक विचाराधीन क़ैदी के आवेदन पर यह आदेश दिया। इस क़ैदी को पिछले दो बार से ज़मानत मिल जाने के बाद भी जेल से नहीं छोड़ा गया है। पहली बार इसे अतिरिक्त ज़िला जल ने फरवरी में और दूसरी बार सत्र न्यायधीश ने 23 मार्च को उसे ज़मानत दी।
उसने कहा कि उसको ज़मानत मिलने के आदेश को वेबसाइट पर अपडेट नहीं किया गया और न ही उसको इसकी प्रति दी गई। इसका परिणाम यह हुआ कि उसको अभी तक जेल से रिहा नहीं किया गया है।
इस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"पंजाब और हरियाणा राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सभी ज़िला और सत्र जज इस तरह की व्यवस्था बनाएँगे कि सरकारी वेबसाइट पर सभी सीजेएम/ड्यूटी मजिस्ट्रेटों या न्यायिक अधिकारियों के टेलीफ़ोन नमबर, ईमेल उपलब्ध हों ताकि ज़मानत के आदेश पर अमल को सुनिश्चित किया जा सके। इन लोगों को यह निर्देश भी है कि वे अदालत के आदेशों को लॉकडाउन के दिन या इससे पहले अपने-अपने सत्र डिवीजनों पर अपलोड करें। हालाँकि, ऐसा करते हुए अदालत ने कोविड-19 को देखते हुए सावधानी बरतने के बारे में जिस तरह के निर्देश जारी किए हैं उसका सख़्ती से पालन होना चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि जेलों में क़ैदियों की भीड़ को कम कारने के लिए जो आदेश दिए जाएँ उसे तत्काल लागू किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"…इसे देखते हुए, हम पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित चंडीगढ़ के सभी अदालतों को यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि वे उन आरोपियों को जेल से रिहा कर दें जिन्हें इस अदालत या उसके तहत आनेवाली किसी भी अदालत ने निजी मुचलके पर ज़मानत दी है और ऐसा ज़मानत राशि जमा करने की बात को लागू करने पर जोड़ नहीं दिया जाएगा।"
अदालत ने कहा कि किसी आरोपी को जेल से तभी रिहा किया जाएगा जब प्रशासनिक निर्देशों/दिशानिर्देशों का पालन किया गया है जो COVID-19 को देखते हुए जारी किए गए हैं।