दिल्ली-एनसीआर एड्रेस वाले आधार कार्ड के आदेश को वापस लेने की अधिसूचना चार सप्ताह में प्रकाशित करें: हाईकोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल से कहा

Update: 2023-08-21 07:12 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को अपनी वेबसाइट पर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया, जिसने 13 अप्रैल को जारी पूर्व अधिसूचना को वापस ले लिया। वापस ली गई अधिसूचना में भविष्य में नामांकन के लिए दिल्ली या एनसीआर क्षेत्र के एड्रेस वाले आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया था।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने वकीलों के संगठन को अगली अधिसूचना जारी करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

अदालत ने एडवोकेट रजनी कुमारी द्वारा अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें कहा गया कि जो ग्रेजुएट नामांकन के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें अनरोलमेंट आवेदन के साथ अपने आधार कार्ड और दिल्ली या एनसीआर के मतदाता पहचान पत्र की प्रति संलग्न करना आवश्यक होगा।

अधिसूचना में कहा गया,

“अब से दिल्ली/एनसीआर के एड्रेस वाले आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की प्रति के बिना कोई नामांकन नहीं किया जाएगा।”

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि वकीलों के निकाय ने विवादित अधिसूचना वापस ले ली। हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ललित कुमार ने अदालत को बताया कि उक्त वापसी को आधिकारिक वेबसाइट पर अधिसूचित नहीं किया गया।

अदालत ने कहा,

“बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की ओर से पेश वकील ने ओपन कोर्ट में बयान दिया कि अधिसूचना वापस ले ली गई। उपरोक्त के आलोक में चूंकि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा अधिसूचना वापस ले ली गई, इस मामले में अब कुछ भी नहीं बचा है। याचिका का निपटारा किया जाता है।”

इसमें कहा गया,

"बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के वकील को चार सप्ताह की अवधि के भीतर अगली अधिसूचना को अधिसूचित करने का निर्देश दिया जाता है, जिसके द्वारा पिछली अधिसूचना वापस ले ली जाती है।"

कुमारी का मामला यह है कि उक्त दस्तावेज़ देने की अनिवार्य आवश्यकता उन लॉ ग्रेजुएट के साथ भेदभाव करती है, जिनके पास दिल्ली या एनसीआर में कोई एड्रेस नहीं है और उनके आवासीय एड्रेस के आधार पर ग्रेजुएट के बीच मनमाना वर्गीकरण भी बनाता है।

याचिका का जवाब देते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अदालत को बताया कि लॉ ग्रेजुएट का अधिवास कानून के अनुसार राज्य बार काउंसिल में नामांकन के लिए शर्त नहीं है और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को छोड़कर किसी अन्य राज्य बार काउंसिल के पास इसकी आवश्यकता नहीं है।

केस टाइटल: रजनी कुमारी बनाम बीसीडी

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