एचआईवी से संक्रमित होने वाली महिला को 7.5 हजार रूपये महीना सहायता प्रदान करे राज्य सरकार: मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया

Update: 2020-12-27 08:45 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (22 दिसंबर) को तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह एक महिला को आर्थिक सहायता के रूप में प्रति माह 7,500 / - प्रदान करे, जो दिसंबर 2018 में सरकारी अस्पताल में एचआईवी संक्रमित रक्त से संक्रमित हो गई थी।

न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी. पुगलेंधी की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि महिला को कनिष्ठ सहायक के रूप में नियुक्त किया जाए।

केस की पृष्ठभूमि

'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार, 23 वर्षीय गर्भवती महिला का एचआईवी टेस्ट पॉज़िटिव पाया गया था, क्योंकि उसे संक्रमित  डोनर का रक्त दिया गया था। यह मामला 2018 में तमिलनाडु के सत्तूर में एक सरकारी अस्पताल में हुआ।

रक्त देने के दौरान डोनर को अपनी एचआईवी पॉजिटिव स्थिति के बारे में पता नहीं था। शिवकाशी के सरकारी अस्पताल के तीन कर्मचारियों, जिन्होंने रक्त एकत्र किया, उन्हेंं लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया।

कोर्ट का आदेश

यह मामला जनवरी 2019 में मद्रास हाईकोर्ट (मदुरै बेंच) पहुंच गया और जुलाई 2019 में अदालत ने महिला को मुआवजे के रूप में 25 लाख रूपये का भुगतान का करने का आदेश दिया।

न्यायालय के समक्ष अपने स्वयं के बयान के अनुसार, उसे रु. 1,00,000/ - [दस लाख रुपये] का भुगतान किया गया था और बच्चों को रु. 7,50,000/ - का भुगतान किया गया था।

अदालत ने राज्य सरकार को मकान के निर्माण के लिए महिला को अतिरिक्त धन आवंटित करने का भी आदेश दिया।

इसके अलावा, पड़ोसियों द्वारा किसी भी तरह के उत्पीड़न से बचने के लिए सरकार को पीड़ित के निवास के लिए एक अलग पानी का कनेक्शन प्रदान करने के लिए भी निर्देशित किया गया था।

इसके अलावा, अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि उसके पति को उचित चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा उचित मनोरोग परामर्श प्रदान किया जाए।

05 नवंबर आदेश

अदालत ने अपने 05 नवंबर 2020 के आदेश में पीड़ित को अपने पड़ोसियों के साथ स्वेच्छा से बातचीत करने के लिए पहला कदम उठाने का सुझाव दिया था, ताकि उनके मन में कोई आशंका न रहे।

अदालत ने उसे अपने पड़ोसियों से अनुरोध करने की सलाह दी थी कि वह उसकी देखभाल करे, क्योंकि वह उसी गाँव में उनके साथ रहने वाली है।

इसके अलावा, चूंकि पीड़िता बस में यात्रा करती थी, इसलिए अदालत ने सरकार को उसे दोपहिया वाहन नि: शुल्क उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया था।

22 दिसंबर ऑर्डर

सरकारी अस्पताल से जुड़े डॉक्टर, सथुर ने कहा कि पीड़िता अपनी प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए पोषण के लिए रु. 250 / - से रु. 300 / - प्रति दिन खर्च कर रही थी। इसके जवाब में, अदालत ने सरकार को उसे 7500 / - रुपये मासिक देने का निर्देश दिया।

अतिरिक्त लोक अभियोजक, जो अदालत द्वारा पीड़ित की सहायता के लिए नियुक्त किया गया था, उन्होंंने सिद्ध किया कि सिद्ध मेडिकल सेंटर एड्स रोगियों के लिए आरएनए थेरेपी प्रदान करके उपचार प्रदान कर रहा है और यह सिद्ध अनुसंधान केंद्र, थंबरम में उपलब्ध है।

ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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