'वकीलों के प्रोफेशनल बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा' : दिल्ली सरकार को पैनल में शामिल वकीलों के बिलों का भुगतान करने का दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस कोर्ट के आदेश के बावजूद पैनल में शामिल वकीलों के बिलों का भुगतान नहीं किये जाने और वकीलों को इसके लिए रिट याचिकाएं दायर करने को विवश होने का संज्ञान लेते हुए पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार के विधि सचिव को यह निर्देश दिया कि वह रिट याचिकाकर्ता (वकील) को 30 दिनों के भीतर उसके बिल का भुगतान करे।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की बेंच प्रणय रंजन नामक एक वकील की याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अपने प्रोफेशनल बिलों के भुगतान की मांग को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ रिट याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता की शिकायत सुनने के बाद कोर्ट ने उल्लेख किया कि उसने इस बाबत एक आदेश पहले ही जारी कर रखा है, जिसमें प्रोफेशनल बिलों के भुगतान के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
कोर्ट का पूर्व का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने 'पीयूष गुप्ता बनाम दिल्ली सरकार एवं अन्य' [ रिट याचिका (सिविल) 5373 / 2020 ] मामले में अगस्त 2020 में दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली के विभिन्न नगर निगमों को चार सप्ताह के भीतर सरकारी वकीलों के बिलों का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
[ नोट: यह आदेश वकील पीयूष गुप्ता की उस याचिका पर आया था, जिसमें दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और विभिन्न निगम निकायों के लिए पेश होने वाले वकीलों के लंबे समय से लंबित बिलों के भुगतान के निर्देश देने की मांग की गयी थी।
याचिका में कहा गया था, "सरकारी वकील जस्टिस डिलीवरी सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रशासन को उनकी आजीविका की चिंता नहीं है, क्योंकि उनके प्रोफेशनल बिल लंबे समय से लंबित हैं, जबकि यही इनकी कमाई का एक मात्र जरिया है।" ]
पीयूष गुप्ता वाले मामले में कोर्ट ने कहा था,
"प्रतिवादियों द्वारा पैनल में शामिल वकीलों की प्रोफेशनल फीस / रिटेनरशिप फीस से संबंधित बिलों का भुगतान न किये जाने की कई शिकायतें सामने आयी हैं। ये बिल लंबे समय से लंबित हैं।"
इतना ही नहीं, कोर्ट ने प्रतिवादियों को एक फरवरी 2020 या उससे पहले इन वकीलों से प्राप्त प्रोफेशनल फीस / रिटेनरशिप फीस से संबंधित बकाये बिलों के भुगतान का निर्देश भी दिया था।
मौजूदा मामले में कोर्ट का आदेश
मौजूदा मामले में महत्वपूर्ण रूप से याचिकाकर्ता (प्रणय रंजन) के वकील ने दलील दी कि रिट याचिका की सुनवाई लंबित होने के दौरान 2019 के प्रोफेशनल बिलों का भुगतान कर दिया गया था, लेकिन 2018 के बिल अभी तक लंबित हैं।
मामले की इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने दिल्ली सरकार के विधि सचिव को याचिकाकर्ता के बिलों का भुगतान 30 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया।
अंत में, कोर्ट ने यह टिप्पणी की,
"सभी लंबित अर्जियों का निपटारा किया जाता है। यदि बकाये का भुगतान नहीं किया जाता है तो याचिकाकर्ता को एक अर्जी दायर करने की अनुमति होगी, जिसमें कोर्ट बकाये राशि पर ब्याज का भुगतान करने की करेगा और प्रतिवादी पर जुर्माना लगायेगा।"
केस का शीर्षक : प्रणय रंजन बनाम दिल्ली सरकार (मुख्य सचिव के जरिये)
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