संसद में डीएमके सदस्य पी. विल्सन ने निजी विधेयक पेश किया गया; राज्यों को NEET से बाहर निकलने का विकल्प देगा
शुक्रवार को राज्यसभा में डीएमके सदस्य पी. विल्सन ने एक प्राइवेट मेंबर विधेयक पेश किया जो राज्यों को चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) से बाहर निकलने का विकल्प देगा।
चिकित्सा शिक्षा कानून (संशोधन) विधेयक [Medical Education Laws (Amendment) Bill, 2021] में समान प्रवेश परीक्षा से बाहर होने वाले राज्यों को छूट देने के लिए दंत चिकित्सक अधिनियम (Dentists Act), 1948 की धारा 10-डी में संशोधन करने का भी प्रयास किया गया है।
बिल मूल अधिनियम की धारा 14 (3) के बाद निम्नलिखित को पेश करने का प्रयास करता है,
"इस खंड के प्रावधान राज्य सरकार की सीटों के संबंध में स्नातक स्तर या स्नातकोत्तर या सुपर-स्पेशियलिटी स्तर पर लागू नहीं होंगे, जब तक कि ऐसे राज्य ने इस तरह की राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा का विकल्प नहीं चुना है।"
विधेयक, अपने उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहता है कि NEET ने न केवल सीबीएसई स्कूलों को फायदा पहुंचाया है बल्कि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को भी बहुत नुकसान किया है।
बिल में यह भी कहा गया है कि छात्रों को निजी कोचिंग का विकल्प चुनना पड़ता है जो असाधारण रूप से महंगा है और एक आम आदमी द्वारा वहन नहीं किया जा सकता है।
बिल में यह भी कहा गया है कि शिक्षा संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची III की प्रविष्टि 25 में आता है, इसलिए राज्य विधानमंडल और राज्य की कार्यपालिका के पास विधायी क्षमता है।
बिल में आगे कहा गया है कि सूची III की प्रविष्टि 25 के तहत कॉलेजों में प्रवेश के क्षेत्र में राज्य सरकार की शक्ति, जैसा कि द मॉडर्न डेंटल कॉलेज बनाम तमिलनाडु मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया है।
चिकित्सा शिक्षा कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 की प्रति पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें: