प्रिंटेड प्रोफार्मा स्वीकार्य नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया संज्ञान आदेश रद्द किया

Update: 2023-03-15 04:00 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शमीम अहमद ने एक सिविल न्यायाधीश द्वारा पारित संज्ञान/सम्मन आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि आदेश न्यायिक दिमाग लगाए बिना, रिक्त स्थान को भरकर एक प्रिंटेड प्रोफार्मा पर पारित किया गया है।

आवेदन सीआरपीसी की धारा 482 के तहत सम्मन आदेश को रद्द करने और आईपीसी की धारा 376, 313 के तहत दर्ज आपराधिक मामले की पूरी कार्यवाही को रद्द करने लिए दायर किया गया था।

आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि एफआईआर दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे के बहाने शिकायतकर्ता के साथ संबंध बनाए और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर उसे गर्भपात के लिए भी मजबूर किया।

आवेदक ने तर्क दिया कि प्रिंटेड प्रोफार्मा पर बिना कोई कारण लिखे दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया गया है जो कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और आवेदक को यांत्रिक रूप से बुलाया गया।

दूसरी ओर राज्य के वकील ने तर्क दिया कि रिकॉर्ड पर सामग्री को देखते हुए आवेदक के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनता है इसलिए वर्तमान आवेदन को खारिज कर दिया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि न्यायाधीश ने बिना कोई कारण लिखे एक प्रिंटेड प्रोफार्मा पर संज्ञान लिया।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा,

" चूंकि, यह कुछ तथ्यों का न्यायिक नोटिस लेने की एक प्रक्रिया है, जो एक अपराध का गठन करते हैं, इस पर दिमाग लगाकर विचार करना होगा कि क्या जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री आगे बढ़ने का पर्याप्त आधार देती है और कानून का उल्लंघन करती है या नहीं, जिससे मुकदमे का सामना करने के लिए किसी व्यक्ति को आपराधिक अदालत में पेश होने के लिए बुलाया जा सके। यह विवेक विशेष मामले के तथ्यों के साथ-साथ विषय पर कानून को ध्यान में रखते हुए विवेकपूर्ण ढंग से कार्य करने के लिए संबंधित मजिस्ट्रेट पर एक जिम्मेदारी डालता है। ”

अदालत ने न्यायिक दिमाग लगाए बिना प्रिंटेड प्रोफार्मा पर आदेश पारित करना अस्वीकार्य पाया और कहा कि सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) द्वारा पारित समन/संज्ञान आदेश कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है और इसके परिणामस्वरूप न्याय का हनन हुआ है।


केस टाइटल- सत्य पाल बनाम मुख्य सचिव के माध्यम से यूपी राज्य और अन्य

केस टाइटल: 2023 लाइवलॉ (एबी) 96

आवेदक के वकील - रिशद मुर्तजा, ऐश्वर्या मिश्रा, सैयद अली जफर रिजवी

विरोधी पक्ष के वकील -हरि शंकर वाजपेयी, आगा-I

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