प्रथम दृष्टया 'कमजोर याददाश्त' के कारण सर्विस के लिए अयोग्य: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केस डायरी पेश करने में विफल रहने पर एसएचओ के खिलाफ जांच के आदेश दिए

Update: 2022-01-25 09:00 GMT

Madhya Pradesh High Court

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने एक मामले में बार-बार ऐसा करने का आदेश देने के बावजूद केस डायरी प्रस्तुत नहीं करने में विफल रहने पर स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) के खिलाफ जांच के आदेश दिए।

न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने अधिकारी द्वारा दिए गए बहाने पर भी आपत्ति जताई कि केस डायरी पेश नहीं की जा सकती क्योंकि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे भूल गए थे।

पीठ ने कहा,

"थाना प्रभारी सतीश मिश्रा पुत्र संतोष मिश्रा द्वारा दिए गए इस स्पष्टीकरण से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया वह पुलिस सेवा में बने रहने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उसकी याददाश्त कमजोर है। कई बार कहे जाने के बावजूद केस डायरी पेश नहीं कर सके।"

बेंच ने पुलिस अधीक्षक सीधी को उक्त एसएचओ के खिलाफ विभागीय जांच करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के मामले पर भी विचार करने का आदेश दिया।

बेंच ने कहा कि इस बात को स्वीकार किया गया है कि कोर्ट के निर्देशों के बावजूद एसएचओ ने केस डायरी पेश नहीं की, जो कोर्ट के काम में बाधा डालने के बराबर है और परोक्ष रूप से कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने के बराबर है।

पीठ अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पर विचार कर रही थी, जिसमें अदालत लगातार चार बार सुनवाई के समय संबंधित मामले में केस डायरी पेश करने की मांग कर रही थी।

हाईकोर्ट के लगातार आदेश के बावजूद एसएचओ केस डायरी पेश करने में नाकाम रहे।

कोर्ट ने स्थिति पर संज्ञान लेते हुए दिनांक 19.01.2022 के आदेश के द्वारा संबंधित थानाध्यक्ष को एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इसमें बताया जाना था कि ऐसा करने के लिए बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद वह केस डायरी पेश करने में विफल क्यों रहे।

सुनवाई की अगली तारीख यानी 21.01.2022 को कोर्ट ने संबंधित एसएचओ द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का अवलोकन किया।

एसएचओ ने हलफनामे में कहा कि कई कार्यक्रम में व्यस्त रहने के करण केस डायरी प्रस्तुत करना भूल गए।

अधिकारी द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण पीठ को अच्छा नहीं लगा।

कोर्ट ने मजबूत अस्वीकृति को उजागर किया और इस प्रकार आदेश दिया,

"पुलिस अधीक्षक, सीधी द्वारा जांच की जाए और इस आदेश के संचार की तारीख से तीस दिनों के भीतर इस न्यायालय के महापंजीयक को सूचित करते हुए थाना प्रभारी चुरहाट, जिला सीधी के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।"

जहां तक अग्रिम जमानत अर्जी का संबंध है, इसे खारिज किया जाता है। इसके सात ही आवेदक को निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता है।

केस का शीर्षक: सुखेंद्र चतुर्वेदी बनाम मध्य प्रदेश राज्य

केस नंबर: 2021 का एमसीआरसी नंबर 60062

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:

Tags:    

Similar News