द हिंदू के मुंबई ऑफ़िस में छँटनी पर भारतीय प्रेस परिषद ने लिया स्वतः संज्ञान

Update: 2020-06-23 12:27 GMT

द हिंदू अख़बार के मुंबई ऑफ़िस में काम कर रहे 20 से अधिक पत्रकारों को नौकरी से निकालने की बात पर (अगर उन्होंने इस्तीफ़ा नहीं दिया है तो) सोमवार को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने स्वतः संज्ञान लिया है।

पीसीआई के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने द हिंदू के मुंबई ब्यूरो में काम कर रहे भारी संख्या में पत्रकारों को अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए कहने पर चिंता जतायी है।

परिषद की विज्ञप्ति में कहा गया है,

"हमें पता चला है कि अख़बार का प्रबंधन औद्योगिक विवाद क़ानून, 1947 के तहत उन नियमों और शर्तों का पालन नहीं कर रहा है जिसके तहत उनकी नियुक्ति की गई है और इसके तहत उनकी शिकायतों का निपटारा नहीं कर रहा है जिसकी वजह से इनकी शिकायतों का समुचित निदान नहीं हो रहा है"।

इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पीसीआई ने द हिंदू, मुंबई के संपादक और उसके क्षेत्रीय प्रबंधक से जवाब माँगा है।

द हिंदू के मुंबई संस्करण की शुरुआत पाँच साल पहले 28 नवंबर, 2015 को हुई थी और अब अख़बार की टीम में मौजूद बड़ी संख्या में पत्रकारों इस्तीफ़ा देने को कहा है और अख़बार के मुंबई कार्यालय में पत्रकारों की संख्या एक अंक में रहेगी।

जिन 20 पत्रकारों को इस्तीफ़ा देने को कहा गया है, उन्होंने इस समूह के अध्यक्ष एन राम, सीईओ एलवी नवनीत और संपादक सुरेश नंबथ को पत्र लिखा है और इनसे मुंबई संस्करण में नौकरी से पत्रकारों को हटाए जाने को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट और मुंह से मुंह फैल रही खबरों पर स्पष्टीकरण माँगा है।

इस पत्र में कहा गया है कि पीड़ित पत्रकारों को कथित रूप से हटाए जाने और ज़बरन इस्तीफ़ा देने की को लेकर कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।

पत्र में लिखा है,

"नीचे हस्ताक्षर करनेवाले सभी लोग द हिंदू में काम करना चाहते हैं क्योंकि भारतीय पत्रकारों में इसे काम करने के लिए एक आदर्श जगह माना जाता है जहां पत्रकारों को पूरा सम्मान और पूरी आज़ादी दी जाती है। जिन सिद्धांतों के आधार पर द हिंदू पहले काम करता आया है एक टीम के रूप में उनके साथ भी अब यही लागू होना चाहिए। एक ऐसा समाचार संगठन जो श्रम क़ानूनों और इसके उल्लंघन पर रिपोर्ट छापने का दावा करता है, हम आपसे लिखित में इस मामले को स्पष्ट करने का आग्रह करते हैं।"

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