दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रेस काउंसिल के हिंदुस्तान टाइम्स न्यूज पेपर में विज्ञापन पर रोक के आदेश पर स्टे लगाया
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (02 मार्च) को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) द्वारा सरकारी विभागों को दिए गए संचार पर रोक लगाई, जिसमें सभी सरकारी एजेंसियों को हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड के स्वामित्व वाले समाचार पत्रों में विज्ञापन देने से रोका गया था।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ पीसीआई के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता (हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता को "सेंसर" किया गया।
यह आदेश कथित रूप से इसलिए जारी किया गया क्योंकि याचिकाकर्ता यह स्पष्ट करने में विफल रहे कि प्रिंटेड कंटेंट एक विज्ञापन है, जो पीसीआई द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंड 2 (xxvi) के अनुसार जरुरी है।
याचिकाकर्ता का सबमिशन
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शब्द "ADVT" बहुत छोटे फ़ॉन्ट में विज्ञापन में छपा है।
आगे कहा कि इसी तरह का एक विज्ञापन अमर उजाला और दैनिक जागरण में भी छपा था और उनके खिलाफ प्रेस काउंसिल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
यह भी तर्क दिया गया कि प्रेस काउंसिल का आदेश प्रेस काउंसिल अधिनियम की धारा 14 के तहत प्राप्त शक्तियों से परे है और इसके साथ ही इसके विपरीत भी है।
कोर्ट का अवलोकन
न्यायालय ने अवलोकन में पाया कि प्रेस कांउसिल के प्रचलित संचार में कुछ उलझन थी, जिसमें प्रेस काउंसिल ने राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार के विभागों से एक कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी, जिससे यह धारणा बनी कि सरकारी एजेंसियां याचिकाकर्ता के समाचार पत्रों में कोई विज्ञापन नहीं दे सकती हैं।
हालांकि, न्यायालय ने नोट किया कि यह निर्देश, आदेश के मुख्य भाग में निहित नहीं था।
इसके अलावा, अदालत ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तराखंड के हल्द्वानी के सूचना और जनसंपर्क विभाग को नोटिस जारी किया।
इसके अलावा, अदालत ने टिप्पणी की कि,
"यदि आदेश और संचार का उद्देश्य याचिकाकर्ताओं के समाचार पत्रों में सभी सरकारी विज्ञापन को रोकना है, तो इस आदेश की आनुपातिकता की जांच इस न्यायालय द्वारा की जानी आवश्यक है क्योंकि विज्ञापन को सरकारी विभागों द्वारा कब तक रोका जाना है, इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि,
"प्रेस काउंसिल द्वारा पारित सेंसर के आदेश के कारण, यदि सरकार के सभी विज्ञापन बंद करने का निर्देश दिया गया है, तो प्रकाशन विभाग को काफी वित्तीय हानि हो सकती है। ऐसा आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का भी उल्लंघन होगा। "
तदनुसार, पीसीआई द्वारा सरकारी विभागों को कार्रवाई करने और कार्रवाई की गई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी।
अन्त में, अदालत ने भारत सरकार को निर्देश दिया कि सरकार पता करे कि क्या याचिकाकर्ता के समाचार पत्र को विज्ञापन प्राप्त करने से रोका गया है या नहीं और सुनवाई की अगली तारीख तक यह आदेश लागू रहेगा।
मामले को 22 अप्रैल 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
केस का शीर्षक - हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड बनाम प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एंड अन्य। [W.P.(C) 2733/2021]