'बेंच हंटिंग' और सवालों से सामना होने पर सुनवाई स्थगित करने की मांग करना बार के लिए स्वस्थ परम्परा नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बगैर किसी उचित कारण के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर करने वाले हापुड़ के याचिकाकर्ता को शुक्रवार को कड़ी फटकार लगायी।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सख्त टिप्पणी की,
"इस तरह से बेंच का आखेट करने (बेंच हंटिंग) और सवाल पूछे जाने पर सुनवाई स्थगित करने की बार द्वारा मांग किये जाने की परम्परा स्वस्थ परिपाटी नहीं है।"
एकल पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब याचिकाकर्ता अपने किसी मौलिक अधिकार के हनन का कोई आधार नहीं बता सका, जिससे कि कोर्ट अपने रिट अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर सके। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने अपने मौलिक अधिकारों के हनन का आधार बताने के बजाय कोर्ट से मामले की सुनवाई स्थगित किये जाने की मांग की।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए रिकॉर्ड में दर्ज किया,
"जब याचिकाकर्ता के वकील से यह पूछा गया कि आखिर संबंधित मामले में उनके मुवक्किल के किस अधिकार का हनन हुआ है और याचिकाकर्ता का इस मामले से क्या लेना-देना (लोकस) है, इस पर वकील सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हैँ।"
याचिकाकर्ता ने हापुड़़ जिले में कुछ निर्माण गतिविधियों पर निषेधाज्ञा लागू करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता ने हापुड़ जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को उसकी याचिका के निपटारे का निर्देश देने का भी अनुरोध न्यायालय से किया था।
कोर्ट ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिकाकर्ता की अर्जी पिछले माह ही दायर की गयी थी और इस बात को लेकर कोई स्वीकार्य स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था कि उन्होंने (याचिकाकर्ता ने) 'इतनी जल्दी' हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया था?
हाईकोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी के मद्देनजर याचिका खारिज कर दी।
केस का नाम : अमित कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य