मृत गाय या बैल की खाल/चमड़ी का कब्जे में होना कोई अपराध नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक फैसला सुनाया है कि मृत जानवरों की त्वचा/चमड़ी/खाल को कब्जे में रखने पर कोई रोक नहीं है और इस तरह की रोक/निषेध के अभाव में, 'महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976' के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।
न्यायमूर्ति वीएम देशपांडे और अनिल एस. किलोर की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यदि कोई अधिसूचना/आदेश जारी किया भी जाता है, जिसके अंतर्गत मृत जानवर की चमड़ी/खाल के कब्जे पर रोक लगायी जाती है तो इस तरह की अधिसूचना या आदेश (जिसका कोई वैधानिक बल नहीं है) क़ानून के उल्लंघन में होगा।
इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि चमड़ी/खाल पर कब्जे के संबंध में इस तरह के किसी भी अधिसूचना या आदेश का उल्लंघन, भारतीय दंड संहिता की धारा 188 को आकर्षित नहीं करेगा।
न्यायालय के समक्ष मामला
न्यायालय, धारा 5- (ए), 5- (बी), 5- (सी), 9, 9 महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976, धारा 188 आईपीसी और बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 105, 117 से आरोपित एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
[नोट: महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976 की धारा 5A, वध के लिए गाय या बैल के परिवहन और निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है। धारा 5 बी, गाय या बैल के किसी अन्य तरीके से बिक्री, खरीद, निपटान पर प्रतिबंध लगाती है। धारा 5 सी, गाय या बैल के मांस के कब्जे में होने को प्रतिबंधित करता है। धारा 9, धारा 5, 5 ए या 5 बी के उल्लंघन के लिए दंड से संबंधित है। धारा 9 ए, धारा 5 सी, 5 डी या 6 के उल्लंघन के लिए दंड से संबंधित है]
अभियोजन पक्ष का यह आरोप था कि एक पिक अप बोलेरो वैन को जानवरों की खाल/चमड़ी को ले जाते हुए पाया गया और इसलिए, बजरंग दल (खामगाँव) के अध्यक्ष द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई।
अभियोजन पक्ष का यह मामला था कि सत्यापन पर, यह पाया गया कि वाहन 187 गायों की खाल को ले जा रहा था, जिसे पशुपालन विभाग द्वारा सत्यापित किया गया।
कोर्ट का अवलोकन
न्यायालय ने देखा,
"(कथित तौर पर), आवेदक वैन में गायों की 187 खालें ले जा रहा था। यह आरोप नहीं हैं कि अधिनियम, 1976 के प्रावधान के उल्लंघन में वध के उद्देश्य से आवेदक गाय या बैल का परिवहन या निर्यात कर रहा था। यह भी आरोप नहीं है कि आवेदक ने खरीदे या बेचे या अन्यथा निपटाए या कत्ल के लिए गाय, बैल या बैल को खरीदने या बेचने का प्रस्ताव दिया।"
इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि
"आवेदक के खिलाफ 1976 के अधिनियम की धारा 5- (ए) या 5- (बी) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।"
धारा 5 (सी) के बारे में, जो गाय, बैल या बैल के मांस के कब्जे को प्रतिबंधित करता है, न्यायालय ने देखा,
"खाल/चमड़ी और 'मांस' के बीच मुख्य अंतर यह है कि 'त्वचा' कशेरुकियों का एक नरम बाहरी आवरण है और 'मांस' एक जानवर के शरीर का एक नरम पदार्थ है जिसमें मांसपेशियां और वसा होते हैं।"
इस प्रकार, न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि यह नहीं कहा जा सकता है कि अधिनियम, 1976 की धारा 5- (सी) के तहत प्रयुक्त 'मांस' शब्द जानवरों की चमड़ी/खाल को कवर करता है।
अदालत ने कहा कि
"धारा 5- (ए), 5- (बी), 5- (सी) के तहत कोई अपराध वर्तमान मामले में आकर्षित नहीं होता है और परिणामस्वरूप धारा 9 और 9- (ए) भी आकर्षित नहीं होगा।"
अंत में, यह मानते हुए कि आवेदक के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है, अदालत ने कहा कि तत्काल मामला, प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द करने हेतु, धारा 482 सीआरपीसी के तहत अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए एक उपयुक्त मामला था।
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