चालक के नशे में होने के कारण पुलिस अधिकारियों को वाहन जब्त करने का अधिकार नहीं: तेलंगाना हाईकोर्ट

Update: 2021-11-07 05:45 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को इस आधार पर वाहनों को पकड़ने या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है कि गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति नशे की हालत में पाया गया।

न्यायमूर्ति के लक्ष्मण की पीठ नशे की हालत में रहने वाले चालक या सवार से वाहन को जब्त करने की पुलिस अधिकारियों की शक्ति से संबंधित कई याचिकाओं पर विचार कर रही थी।

इस विषय पर विभिन्न वैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करते हुए न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

(ए) यदि वाहन का चालक/सवार शराब के नशे में पाया जाता है तो उसे वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, अगर पुलिस को चालक/सवार के साथ कोई अन्य व्यक्ति नशे की हालत में नहीं मिलता है और उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस है तो ऐसे व्यक्ति को मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा -202 के तहत वाहन को जब्त/रोकने के बिना वाहन चलाने की अनुमति देनी चाहिए।

(बी) यदि नशे की हालत में वाहन चलाने वाले व्यक्ति के अलावा कोई अन्य व्यक्ति नहीं है तो संबंधित पुलिस अधिकारी या नशे में धुत चालक किसी भी नजदीकी रिश्तेदार या दोस्त को वाहन की कस्टडी वापस लेने के लिए तुरंत सूचित करेगा।

(ग) यदि वाहन को वापस लेने के लिए कोई नहीं आता है तो संबंधित पुलिस अधिकारी अस्थायी रूप से वाहन को अपने कब्जे में ले लेगा और वाहन को नजदीकी पुलिस स्टेशन या किसी अन्य उपयुक्त अधिकृत स्थान पर सुरक्षित रूप से रखेगा। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि पुलिस के पास वाहन को इस आधार पर हिरासत में लेने/जब्त करने का अधिकार नहीं है कि उसके चालक/सवार ने उसे नशे की हालत में चलाया था।

(डी) पुलिस या कोई अन्य अधिकारी जिसके पास ऐसे वाहन की अभिरक्षा है, उसे उक्त वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र (आरसी), पहचान के प्रमाण और एक वैध ड्राइविंग लाइसेंस के होने पर या तो मालिक या किसी अधिकृत व्यक्ति को जारी करेगा।

(ई) यदि संबंधित पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि चालक या मालिक या दोनों पर मुकदमा चलाना आवश्यक है तो वह वाहन जब्ती की तारीख से तीन (03) दिनों के भीतर संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करेगा। संबंधित क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारियों को सूचित करते हुए अभियोजन पूरा होने के बाद वाहन को हिरासत में लेने वाले अधिकारी द्वारा छोड़ा जाएगा।

(च) उक्त मजिस्ट्रेटों को तेलंगाना राज्य मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम - 448-ए (iv) के अनुपालन में जब्ती की तारीख से तीन (03) दिनों के भीतर आरोप पत्र प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है, यदि आरोप पत्र अन्यथा में हैं।

(छ) राज्य के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे टी.एस. मोटर वाहन नियम, 1989 का पालन करें।

(ज) यदि कोई वाहन की अभिरक्षा का दावा नहीं करता है तो पुलिस कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।

उपरोक्त निर्देशों का किसी भी तरह का उल्लंघन अवमानना ​​माना जाएगा और संबंधित पुलिस के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही शुरू की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं का मामला यह था कि पुलिस के पास अपने ड्राइवरों से वाहन को जब्त करने की कोई शक्ति नहीं थी, जो नशे की हालत में रहते हैं। पुलिस पंजीकरण प्रमाण पत्र, पहचान प्रमाण और ड्राइविंग लाइसेंस के प्रमाण के बावजूद वाहनों को बिना रिहा किए कई दिनों तक रोक रही थी।

दूसरी ओर, राज्य ने कहा कि पुलिस मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 एक सक्षम प्रावधान है जिसे पुलिस लागू कर रही है। पुलिस अधिकारी नशे की हालत में वाहन चलाते समय दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं।

प्रासंगिक प्रावधानों का विश्लेषण करते हुए न्यायालय का विचार था कि यदि पुलिस अधिकारी को कोई व्यक्ति नशे की हालत में वाहन चलाता मिले या वह वाहन चलाने में सक्षम नहीं है तो वाहन को हिरासत में लेने या अस्थायी निपटान के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मोटर वाहन अधिनियम और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 दोनों के तहत पुलिस अधिकारी या लाइसेंसिंग प्राधिकरण के पास इस आधार पर वाहन को जब्त करने या रोकने की शक्ति नहीं है कि वाहन चलाने वाला व्यक्ति नशे की हालत में था।

कोर्ट ने कहा,

"हालांकि, उक्त प्रावधान प्रावधानों को सक्षम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति अकेले वाहन चलाता है और पुलिस अधिकारी उसे नशे की हालत में पाता है और ऐसा व्यक्ति वाहन चलाने में असमर्थ है तो पुलिस अधिकारी के पास प्रमाण पत्र को जब्त करने की शक्ति है। साथ वह ही वाहन को रोक/जब्त कर सकते हैं और उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन/सुरक्षित अभिरक्षा के लिए उपयुक्त स्थान पर रख सकते हैं।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि उक्त वाहन को मालिक या किसी अधिकृत व्यक्ति को जारी करना पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है जो नशे की स्थिति में नहीं है और जो वाहन चलाने की स्थिति में है और वैध लाइसेंस रखते हैं।

कोर्ट ने कहा,

"विधायिका की मंशा नशे की हालत में वाहन चलाने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और  नुकसान को कम करना है और वाहनों को एक साथ कई दिनों तक रोककर वाहनों के मालिकों को परेशान करने का इरादा नहीं है, इसलिए, पुलिस अधिकारियों को उक्त कानून और अधिनियम के प्रावधानों का सख्ती से पालन करना होगा।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि सड़क दुर्घटनाओं और मौतों से बचने के लिए सभी सावधानियां बरतना और 'सड़क सुरक्षा' पर राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना भी नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है।

इसी के तहत याचिकाओं का निस्तारण किया गया।

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