पुलिस किसी व्यक्ति को मतदान से वंचित नहीं कर सकती, यदि उसके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि का मामला दर्ज न हो : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (8 फरवरी) को कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों के लिए कोई मामला दर्ज नहीं है तो उन्हें पुलिस अधिकारियों द्वारा गैर कानूनी तरीके से हिरासत में नहीं रखा जा सकता, जिसके कारण वे मतदान की तारीख को अपने मताधिकार के इस्तेमाल से वंचित हो जायें।
न्यायमूर्ति चीकाती मानवेंद्र नाथ रॉय की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि प्रतिवादी पुलिस अधिकारी उन लोगों को नौ फरवरी 2021 को होने वाले मतदान से वंचित रखने का प्रयास कर रहे हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
दोनों ही याचिकाकर्ता भाई हैं और प्रथम याचिकाकर्ता की बेटी कुरनूल जिले के आर. नागुलावरम ग्राम पंचायत के सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ रही थी। मतदान नौ फरवरी को निर्धारित थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि जब वे अपनी पसंदीदा उम्मीदवार के बारे में प्रचार कर रहे थे, तब प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों ने उन्हें प्रचार करने से रोक दिया।
याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों की ओर से उठाये गये कदम को असंवैधानिक, निरकुंश और गैर कानूनी करार देते हुए न्यायालय से इस बात की घोषणा करने की मांग की थी कि उनके कदम असंवैधानिक हैं और तदनुसार, प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे सरपंच के चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करने से याचिकाकर्ताओं को न रोकें।
सरकार की ओर से रखी गयी दलीलें
सहायक सरकारी वकील ने दलीलें दी कि याचिकाकर्ता उपद्रवी पृष्ठभूमि से हैं और आपराधिक गतिविधियों में उनके पुराने इतिहास को देखते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ फाइलें खोली गयी है और ये फाइलें अभी लंबित हैं।
उनकी ओर से यह दलील दी गयी कि चुनाव की अवधि के दौरान या मतदान के दिन किसी गैर कानूनी गतिविधि में संलिप्त होने से रोकने के लिए याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लेने का कदम ऐहतियात के तौर पर उठाया गया था, ताकि गांव में कानून व्यवस्था कायम रखा जा सके। याचिकाकर्ताओं को अपनी उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार प्रसार करने से नहीं रोका गया।
कोर्ट की टिप्पणियां
सर्वप्रथम, कोर्ट ने टिप्पणी की कि चूंकि याचिकाकर्ता उपद्रवी पृष्ठभूमि के हैं, इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान एवं मतदान के दिन गांव में कानून व्यवस्था बनाये रखने तथा याचिकाकर्ताओं को गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने से रोकने की जिम्मेदारी प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों के पास थी।
इसलिए कोर्ट ने कहा,
"यदि प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों द्वारा गांव में कानून व्यवस्था बनाये रखने को लेकर याचिकाकर्ताओं को गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने से रोकने के लिए कोई कार्रवाई की है तो इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता।"
हालांकि कोर्ट ने आगे कहा,
"साथ ही, संबंधित चुनावों में पंजीकृत मतदाताओं के तौर पर याचिकाकर्ताओं के मतदान देने का अधिकार भी बेशकीमती अधिकार है और मामलों के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में इस कानूनी अधिकार के भी संरक्षित किये जाने की जरूरत है।"
महत्वपूर्ण तौर पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे चुनाव के दौरान गैर कानूनी गतिविधियों में संलिप्त न हों और चुनाव की अवधि के दौरान और शांतिपूर्ण मतदान के लिए गांव में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने में प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को सहयोग करें।
इसके अलावा, कोर्ट ने प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को किसी अपराध की शिकायत दर्ज न होने की स्थिति में याचिकाकर्ताओं को अनावश्यक तौर पर गिरफ्तार न करने का निर्देश भी दिया।
प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को याचिकाकर्ताओं के मताधिकार के इस्तेमाल से वंचित न करने का निर्देश भी दिया गया। कोर्ट ने, साथ ही, निर्धारित अवधि के दौरान याचिकाकर्ताओं को कानूनी तरीके से अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए प्रचार करने से मना न करने का भी प्रतिवादी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया।
तदनुसार, रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।