पोक्सो एक्ट| विशेष अदालत के पास निर्धारित न्यूनतम सजा से कम सजा देने की शक्ति नहींः कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पॉक्सो कानून के तहत दोषी एक अभियुक्त को दी गई पांच साल की सजा को बढ़ा दिया है। उसे विशेष अदालत ने सजा दी थी। कोर्ट ने कहा कि जब कानून ने अपराध के लिए सात साल की न्यूनतम सजा तय की है तो विशेष अदालत के पास न्यूनतम सजा को घटाकर पांच साल करने की कोई शक्ति नहीं है।
कालबुरगी स्थित जस्टिस वी श्रीशानंद की एकल पीठ ने अधिनियम की धारा 4 और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत शेख रऊफ को दी गई सजा को बरकरार रखा और ट्रायल कोर्ट की सजा को बढ़ा दिया।
खंडपीठ ने कहा,
"पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध के लिए क़ानून ने सात साल की न्यूनतम सजा निर्धारित की है, इस तथ्य की अनदेखी करते हुए विद्वान न्यायाधीश ने प्रतिवादी/अभियुक्त को पांच साल की सजा दी, जो स्पष्ट रूप से अवैध है और इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की मांग करता है।"
अभियोजन पक्ष ने विशेष अदालत के सात सितंबर, 2015 के आदेश को खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। विशेष अदालत ने आरोपी को 12 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया था। हालांकि, उन्हें दोनों मामलों में पांच साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई थी।
राज्य सरकार ने अपनी अपील में तर्क दिया कि जब ट्रायल कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने सभी महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण गवाहों की जांच करके मामले को साबित कर दिया, तो प्रतिवादी/आरोपी के खिलाफ सजा की मात्रा और जुर्माना राशि को कम करना सही नहीं था।
यह प्रस्तुत किया गया कि चूंकि प्रतिवादी/आरोपी ने एक 12 साल की लड़की के जीवन को बर्बाद कर दिया है, ट्रायल कोर्ट की सजा और जुर्माने बहुत ही अपर्याप्त है और यह आईपीसी और पोक्सो एक्ट के अनुसार नहीं है।
पीठ ने नोट किया कि आरोपी को आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दोषी ठहराने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती नहीं दी है।
कोर्ट ने कहा,
"प्रतिवादी/आरोपी का तर्क कि विशेष जज को अभियुक्त को आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए था, जब एक बार आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका हो।
यह तर्क इस तथ्य के मद्देनजर अपना महत्व खो देता है कि आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत निर्धारित सजा एक ही है।
पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत दोषी पाए जाने पा सात साल है की न्यूनतम सजा का प्रावधान है, पीठ ने कहा, “चूंकि कानून ने न्यूनतम सात साल की सजा निर्धारित की है। विशेष जज के पास न्यूनतम सजा को घटाकर पांच साल करने की कोई शक्ति नहीं थी। "
तदनुसार कोर्ट ने अपील को स्वीकार किया और कहा कि "राज्य ने सजा को बढ़ाकर सात साल करने की मांग की है, जो कि पोक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत कानून द्वारा निर्धारित न्यूनतम सजा है।"
केस टाइटल: कर्नाटक राज्य और शेख रऊफ
केस नंबर: क्रिमिनल अपील नंबर 200060/2016