कलकत्ता हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव रोकने, पश्चिम बंगाल में आपातकाल की घोषणा की मांग वाली याचिका दायर
पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के बीच कथित हिंसा के मद्देनजर, कलकत्ता हाईकोर्ट में आज एक तत्काल याचिका दायर की गई। याचिका में राज्य में आपातकाल की घोषणा करने और 8 जुलाई को होने वाले चुनावों को रोकने की मांग की गई है।
संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को राज्य में आपातकाल घोषित करने का अधिकार देता है। अगर राज्य के राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त होने पर या अन्यथा, वह संतुष्ट हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार राज्य को नहीं चला पा रही है।
याचिका का उल्लेख चीफ जस्टिस शिवगणमन और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष किया गया।
याचिका में कहा गया है,
"चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए, और केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय को राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद आपातकाल घोषित करने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए, अगर उन्हें लगता है कि इन मामलों में आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए, तो पंचायत चुनाव को स्थगित कर दिया जाना चाहिए।"
उच्च न्यायालय में चुनाव प्रक्रिया में राज्य चुनाव आयोग के अवैध और लापरवाहीपूर्ण आचरण का आरोप लगाने वाली कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका दायर करने का निर्देश दिया है और आश्वासन दिया है कि इस पर उचित समय पर विचार किया जाएगा।
राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक अन्य जनहित याचिका का भी आज पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया। यह प्रस्तुत किया गया है कि ऐसी नियुक्ति को विधायी समर्थन नहीं है क्योंकि राज्य संशोधन अधिनियम से संबंधित अधिसूचना जिसके तहत राज्य चुनाव आयोग को नियुक्त किया गया था, आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं की गई थी। ऐसे में, ये प्रार्थना की जाती है कि आयुक्त द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान की गई किसी भी कार्रवाई को शुरू से ही शून्य घोषित किया जाए।
हाईकोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मतदाताओं को धोखा देने के लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है।
एक वकील ने प्रस्तुत किया,
"वे इसे पंचायत चुनाव में सबसे बड़े राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहे हैं। यह एक असंवैधानिक योजना है और राज्य ने इस पर आपत्ति भी नहीं जताई। अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।"