पटना हाईकोर्ट ने सरकार से कहा, उन ट्रांसजेंडरों को भी राशन मिले जिनके पास राशन कार्ड नहीं है

Update: 2020-05-28 05:02 GMT

पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकार को निर्देश दिया कि कि वह ट्रांसजेंडर समुदाय के उन लोगों को भी राशन सुनिश्चित करे जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने दिया है।

ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की दयनीय स्थिति को लेकर वीरा यादव ने एक याचिका दायर की गई थी जिस पर 1 मई को कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। याचिका में कहा गया था कि बिहार में इस समुदाय के लोग राशन नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं है। याचिका में कहा गया कि इस समुदाय के लोगों को 25 किलो राशन और ₹5000 नक़द हर माह दिया जाए।

सरकारी वकील अजय ने अदालत को कहा कि बिहार सरकार समुदाय के सभी लोगों में खाद्यान्न बँटवारे का निर्णय पहले ही ले चुकी है और यह उन्हें भी दिया जाएगा, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है।

उन्होंने कहा कि संबंधित अथॉरिटीज़ के साथ इस समुदाय के लोगों की शिकायतें जिनकी चर्चा याचिका में की गई है, दूर करने की कोशिश की जा रही है।

वकील अजय की दलील की प्रशंसा करते हुए पीठ ने कहा कि अब इस मामले में आगे कोई आदेश जारी करने की ज़रूरत नहीं है। अदालत ने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य के विभिन्न इलाक़ों में रह रहे इस समुदाय की मदद के लिए पर्याप्त कदम उठाया है।

अदालत को यह भी बताया गया कि राशन के लिए राइट टू सर्विस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन में जेंडर का चुनाव करने में महिला और पुरुष के अलावा और कोई विकल्प नहीं आता और यह भी कि यह वेबसाइट अभी काम नहीं कर रही।

अदालत अब इस मामले की सुनवाई 22 जून को करेगी।

कर्नाटक, झारखंड और तेलंगाना के हाइकोर्टों ने भी सरकारों से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को लॉकडाउन के दौरान पर्याप्त सुरक्षा देने को कहा है। अभी हाल ही में केरल हाईकोर्ट में भी इसी तरह की याचिका दायर की गई। 

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें


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