[अस्पतालों द्वारा ओवरचार्जिंग] 'रिसेप्शन काउंटर पर COVID उपचार की दरों को प्रदर्शित करें', मध्यप्रदेश HC ने राज्य को प्रत्येक अस्पताल को निर्देश जारी करने के लिए कहा
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय (जबलपुर खंडपीठ) ने बुधवार (02 सितंबर) को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अस्पतालों के रिसेप्शन काउंटर पर COVID-19 रोगियों के उपचार के लिए दरों को प्रदर्शित करने के लिए निजी अस्पतालों सहित प्रत्येक अस्पताल को निर्देश जारी किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि अस्पतालों द्वारा कोई ओवरचार्जिंग होती है, तो इसके सम्बन्ध में एक हलफनामा दाखिल करके जिला प्रशासन और उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया जाएगा, जिससे उस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाये।
राज्य को समाचार पत्र में सार्वजनिक सूचना के प्रकाशन (पूर्वोक्त दिशाओं का उल्लेख करते हुए) को सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
अदालत ने कहा,
"राज्य सरकार आज दिए गए आदेश में निहित निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगी, जहां तक यह उनके पक्ष में कार्रवाई किए जाने से संबंधित है।"
पीआईएल की पृष्ठभूमि
उच्च न्यायालय ने 'इन रेफरेंस सुओ मोटो बनाम भारत संघ और अन्य' के मामले में उपरोक्त निर्देश दिया है।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किए गए एक संदर्भ के आधार पर, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (26-जून -2010) को राज्य में एक दुखद घटना का संज्ञान लिया, जहां COVID से पीड़ित एक बुजुर्ग को बिस्तर से बांध दिया गया था।
पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर यह संज्ञान लिया गया, जिसमे शाजापुर जिले के एक अस्पताल में वृद्ध के उपचार के लिए कथित रूप से शुल्क का भुगतान करने में विफल रहने के बाद उन्हें एक बिस्तर से बांधने की घटना का जिक्र किया गया था।
उक्त पत्र के लेखक ने यह कहा था कि इस तरह के कृत्यों से मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है यानी सम्मान के साथ जीने का अधिकार।
गौरतलब है कि 6 जून को एक वायरल वीडियो में दिखाया गया था कि शाजापुर के सिटी अस्पताल में एक 80 वर्षीय व्यक्ति को अस्पताल के बिस्तर से बांध दिया गया था, क्योंकि वह और उसका परिवार COVID के इलाज के लिए अस्पताल के बिल को भर नहीं पाए थे।
उक्त पत्र को उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका के रूप में माना था क्योंकि यह मामला बहुत गंभीर था।
इस मामले को आगे 23.09.2020 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
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