महिला न्यायिक अधिकारी को धमकाने के लिए उड़ीसा हाईकोर्ट ने तंगी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने मंगलवार को तंगी शहर में स्थित वकील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नकुल कुमार नायक को एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ ''गंदी भाषा'' का इस्तेमाल करने और उनको धमकी देने के मामले में अवमानना नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश ने बार के अध्यक्ष के मुवक्किल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस एस. तलापात्रा और जस्टिस संजीव कुमार पाणिग्रही की खंडपीठ ने आरोपों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि वे इस बात से ''हैरान'' हैं कि बार एसोसिएशन का एक जिम्मेदार पदाधिकारी एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है?,जो अपने न्यायिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी।
अदालत ने कहा,
''विपक्षी पक्ष को यह पूछने वाला जारी नोटिस किया जा रहा है कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना का आरोप क्यों नहीं बनाया जाए ? या उन पर आपराधिक अवमानना के लिए मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाए ? या न्याय के हित में उचित समझे जाने वाले ऐसे अन्य आदेश क्यों न पारित किए जाएं?''
मुख्य न्यायाधीश के एक संदर्भ के बाद अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान की कार्यवाही शुरू की गई है।
इससे पहले, सियोना सिद्धार्थ मोहराना, न्यायाधिकारी-सह-जेएमएफसी, जो खुर्दा जिले के तंगी शहर में तैनात हैं, द्वारा एक पत्र लिखा गया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि नायक ने पिछले महीने तंगी बार एसोसिएशन के कुछ "प्रैक्टिस न करने वाले वकील और कुल अन्य बाहरी लोगों के साथ मिलकर (लगभग 60 से 70 लोग) कोर्ट परिसर में उनको रोका था और यह कहकर धमकी दी थी कि ''आपकी जमानत याचिका को खारिज करने की हिम्मत कैसे हुई''।
नायक ने कथित तौर पर उनके अनुभव पर सवाल उठाते हुए धमकी भरी आवाज में उनके साथ दुर्व्यवहार किया और कहा कि वह एक नई प्रवेशी हैं जबकि वह एक अनुभवी पेशेवर हैं। न्यायिक अधिकारी ने घटना के बाद जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था और कहा था कि उन्हें धमकी दी गई है कि जमानत अर्जी खारिज के लिए उनकी अदालत का बहिष्कार किया जाएगा।
यह भी आरोप लगाया गया कि नायक ने पहले भी कई मौकों पर उन्हें धमकी दी थी। हाईकोर्ट को बताया गया, ''जब भी कोई आदेश उसके हित के खिलाफ जाता है, तो वह अदालत के बहिष्कार का आह्वान करने की प्रवृत्ति रखता है। तंगी कोर्ट में एक अस्वास्थ्यकर माहौल फैलाया गया है।''
खंडपीठ ने कहाः
''हमारे अनुसार, विपक्षी पक्षकार द्वारा की गई आपराधिक अवमानना पर संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त सामग्री रिकॉर्ड पर है। विपक्षी पक्षकार का कार्य न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा -2 (सी) के तहत परिभाषित 'आपराधिक अवमानना' के अर्थ में आता है। उनके आचरण ने न केवल न्यायिक मजिस्ट्रेट को अपमानित किया है, बल्कि न्यायिक कार्यवाही में भी हस्तक्षेप किया है। इसके अलावा, उन्होंने न्याय प्रशासन की प्रक्रिया में बाधा डालने की प्रवृत्ति रखी है।''
खंडपीठ ने कहा कि अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 (2) के तहत संज्ञान लिया गया है। आदेश की एक प्रति अध्यक्ष, ओडिशा राज्य बार काउंसिल और राज्य महाधिवक्ता को प्रस्तुत करने का आदेश देते हुए, अदालत ने कहा कि वह इस मामले में सहायता करें।
अदालत ने कहा, ''नोटिस को 17.11.2022 को वापस करने योग्य बनाया गया है।''
तथ्यात्मक पृष्ठभूमि
मुख्य न्यायाधीश ने 30 अक्टूबर को मामले को खंडपीठ को सौंप दिया था। 21 अक्टूबर को लिखे पत्र में मोहराना ने नायक के आचरण के बारे में विस्तार से बताया है।
अदालत ने कहा कि पत्र से पता चलता है कि उसने न्यायिक मजिस्ट्रेट को उसके चैंबर के बाहर से ''गंदी भाषा'' में गाली दी और कहा कि ''पीओ की जमानत याचिका को खारिज करने की हिम्मत कैसे हुई''।
इसके बाद शाम करीब 5.20 बजे जब न्यायिक दंडाधिकारी उनके आवास की तरफ जा रही थी तो विपक्षी पक्ष ने कोर्ट भवन के बाहर, लेकिन कोर्ट परिसर के अंदर उनका रास्ता रोक लिया।
पत्र में आगे खुलासा किया गया है कि उस समय उनके साथ ''तंगी बार एसोसिएशन के कुछ प्रैक्टिस न करने वाले वकील और कुछ बाहरी लोग थे, जिनकी संख्या कुल 60 से 70 थी।'' उन्होंने उसे रोका और यह कहकर धमकी दी कि ''आपकी जमानत याचिका को खारिज करने की हिम्मत कैसे हुई''।
पत्र के अनुसार न्यायिक दंडाधिकारी ने यह कहकर उसे शांत करने का प्रयास किया कि आरोपी व्यक्ति पहले भी कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है और वह दो अन्य मामलों में फंसा हुआ है।
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि,''इसलिए, उसने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसने उनसे यह भी कहा था कि उसने अपने आदेश में आरोपी की जमानत प्रार्थना को खारिज करने के कारणों के बारे में उल्लेख किया है, जिसके लिए विपक्षी पक्षकार पेश हो रहा था। उसने विपक्षी पक्षकार को याद दिलाया था कि यदि आरोपी उसके आदेश से व्यथित हैं, तो उनके पास उच्च न्यायालयों में जाने का पूरा मौका है। विपक्षी पक्षकार और उसके साथी नहीं माने और धमकी भरी आवाज में उसके साथ दुर्व्यवहार करना जारी रखा और उनके अनुभव पर सवाल उठाया कि वह एक नई प्रवेशी हैं और वह एक अनुभवी पेशेवर हैं।''
उसने आगे उल्लेख किया है कि पूरी घटना कोर्ट स्टाफ, दो पुलिस स्टेशनों के पुलिस एस्कॉर्ट और सीएएसआई स्टाफ और अन्य बाहरी लोगों की उपस्थिति में हुई थी। उसने यह कहते हुए एक पिछली घटना भी सुनाईः
''... दो महीने पहले भी, जब हमारे ग्रुप-डी के कर्मचारियों में से एक सुशांत कुमार सेठी कोर्ट में नाइट वॉचमैन ड्यूटी कर रहे थे, उस समय, तंगी बार एसोसिएशन ने काम बंद करने का आह्वान किया था और वे तब रात में बहुत देर तक कोर्ट परिसर में रह रहे थे, उस समय रात को लगभग 11.45 बजे से 12 बजे, मेरे स्टाफ सुशांत कुमार सेठी ने मुझे फोन किया और बताया था कि बार अध्यक्ष पूरी तरह से नशे में धुत होकर कोर्ट भवन के मुख्य द्वार को मार रहे हैं और जब मेरे स्टाफ ने मामले के बारे में पूछताछ की तो उसने उसे अत्यधिक अशोभनीय और अश्लील भाषाओं में गाली दी और मेरा नाम लेकर उसके सामने मुझे भी गाली दी।''
विशेष रूप से, यह पहला मामला नहीं है जब तंगी बार एसोसिएशन के बार सदस्यों ने अपना अनियंत्रित व्यवहार दिखाया है। सितंबर में, जस्टिस एस तलापात्रा और जस्टिस मृगंका शेखर साहू की खंडपीठ ने एक वकील के लिए पुलिस एस्कॉर्ट का आदेश दिया था, जिसे उक्त बार के सदस्यों ने अपने मुवक्किल के जमानत बांड जमा करने से रोक दिया था।
केस टाइटल- रजिस्ट्रार (न्यायिक), उड़ीसा हाईकोर्ट बनाम नकुल कुमार नायक, अध्यक्ष, वकील बार एसोसिएशन, तंगी
आदेश की तारीख-1 नवंबर 2022
कोरम- एस. तलापात्रा और एस.के. पाणिग्रही, जे.जे.
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