संगठित अपराध या अंतरधार्मिक विवाह: दिल्ली हाईकोर्ट ने पिता की शिकायत पर कि उसकी बेटी को मुस्लिम व्यक्ति भगा ले गया है, FIR दर्ज करने का आदेश दिया
एक मामले में, जहाँ एक 'संगठित तरीके' से एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा हिंदू लड़की को भगा ले जाने के आरोप लगाए गए थे, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (18 दिसंबर) को प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने के चलते एक पुलिस अधिकारी को फटकार लगते हुए राज्य को लड़की का पता लगाने और उसे अदालत में पेश करने का आदेश दिया।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने एएचटीयू, अपराध शाखा को मामले में जांच स्थानांतरित कर दी (FIR दर्ज करने का आदेश देते हुए)।
अदालत के समक्ष मामला
याचिकाकर्ता (लड़की के पिता) ने अपनी बेटी को पेश करने के सम्बन्ध में एक हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की. वह कथित तौर पर 07.11.2020 को गायब हो गई थी।
आरोप के अनुसार, एक सैयद मुस्तफा द्वारा याचिकाकर्ता की बेटी को उसके निवास से ले जाया गया था। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसी दिन, लड़की को ट्रेन से कोलकाता ले जाया गया था।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की बेटी को एक संगठित तरीके से भगा कर ले जाया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता की बेटी B.Tech है, जबकि दावे के अनुसार जिस व्यक्ति के साथ वह गयी है कि वह पेशे से एक मजदूर है। उन्होंने यह भी कहा कि उस व्यक्ति/मजदूर के पिता, अर्थात् मुन्ना भाई भी घटना के दिन से गायब थे, जबसे लड़की लापता हो गई।
राज्य की दलील
दूसरी ओर, राज्य ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि लड़की ने एक सैय्यद मुस्तफा, s/o मुन्ना से शादी की है। यह भी दावा किया गया था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों को भी सूचित किया था कि वह परेशान नहीं होना चाहती है और वह जहां भी है, खुश और सुरक्षित है।
एसएचओ, नरेना ने अदालत के समक्ष यह कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी "चूंकि निकाहनामा का उत्पादन यह दिखाने के लिए किया गया था कि लड़की ने सैयद मुस्तफा के साथ शादी की थी।" कोर्ट के प्रश्न पर, उसने कहा कि उक्त निकाहनामा को प्रयासों के बावजूद सत्यापित नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट का आदेश
एसएचओ, नरैना द्वारा प्रस्तुत सबमिशन के मद्देनजर, कोर्ट ने टिप्पणी की,
"हम हैरान हैं कि इस पृष्ठभूमि में भी, उन्होंने (एसएचओ, नरैना) ने एफआईआर दर्ज करना उचित नहीं समझा और वो उनके सामने पेश किए गए बयान पर आगे बढ़े, जिसमें यह दावा किया गया कि लड़की ने सैयद मुस्तफा से शादी कर ली है।"
नतीजतन, अदालत ने राज्य को लड़की के उत्पादन के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया और अदालत ने फ़िलहाल के लिए कथित तौर पर लड़की के स्वैच्छिक बयानों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
स्वयं को संतुष्ट करने के लिए, न्यायालय ने यह आदेश दिया कि लड़की को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"यदि लड़की का पता लगाया जाता है, तो उसे दिल्ली लाया जाएगा, और अगली तारीख से कम से कम चार दिन पहले नारी निकेतन में रखा जाएगा, ताकि वह या तो याचिकाकर्ता, या जिन व्यक्तियों के साथ उसका होना कहा गया है, उनके प्रभाव में न हो।"
इसके अलावा अदालत ने संबंधित एसएचओ को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता और परिवार के सदस्यों को खतरे के आकलन के पहलू को देखें और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें।
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