IAS ट्रेनी के इशारे पर 70 वर्षीय वकील के खिलाफ पुलिस ने की कार्रवाई, बार एसोसिएशन ने की निंदा
ओडिशा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बालासोर जिला बार एसोसिएशन के 70 वर्षीय सीनियर एडवोकेट के साथ महिला IAS ट्रेनी अधिकारी के इशारे पर की गई पुलिस की कथित बदसलूकी और उत्पीड़न की कड़ी आलोचना की।
क्या है मामला:
6 जून, 2025 की शाम को एडवोकेट पुरुषोत्तम दास (उम्र 70 वर्ष), बालासोर सर्किट हाउस में एक विधायक से मिलने गए। जब वह विधायक के कमरे में पहुंचे तो वह वहां मौजूद नहीं थे। इसके बाद एडवोकेट अन्य कमरों में उनकी तलाश में गए और गलती से एक कमरे में प्रवेश कर गए, जहां महिला IAS ट्रेनी अधिकारी, शामल कल्याणराव भगत ठहरी हुई थीं। अपनी गलती का एहसास होते ही उन्होंने तुरंत कमरा छोड़ दिया।
महिला अधिकारी ने उन्हें रोककर मौखिक रूप से अपमानित किया और अगले दिन 7 जून को सहदेवखुंटा पुलिस स्टेशन, बालासोर में उनके खिलाफ दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने एडवोकेट को गिरफ्तार कर लिया और कथित तौर पर थाने में भी बदसलूकी की।
बार का विरोध और कड़ा रुख:
इस घटना की जानकारी मिलते ही बालासोर के वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया और इसे एक युवा प्रशासक के इशारे पर पुलिस की मनमानी करार दिया। इसके बाद ओडिशा राज्य बार काउंसिल (OSBC) ने भी 13 जून, 2025 को इस मामले में संज्ञान लिया और सरकार को 10 दिन के भीतर कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया।
अब हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जिसके अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट मनोज कुमार मिश्रा हैं, ने इस घटना की सर्वसम्मति से निंदा की है। एसोसिएशन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस ने महिला प्रशिक्षु अधिकारी के साथ मिलकर वरिष्ठ वकील के साथ दुर्व्यवहार किया।
बार एसोसिएशन का बयान:
“BNSS की धारा 35 नोटिस पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराने की कोशिश इस बात का प्रमाण है कि थाने में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं है। पुलिस पूरी तरह से उस महिला अधिकारी के प्रभाव में आ चुकी है, जिसने अपनी सीमाएं पार कर एक सीनियर वकील को परेशान किया। यह पूरी तरह से अवैध, अधिकारों का दुरुपयोग और शक्ति का गलत इस्तेमाल है।”
मांग और निष्कर्ष:
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने OSBC की चेतावनी का समर्थन किया और ट्रेनी IAS अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
आगे कहा गया,
“यह मामला अत्यंत गंभीर है और इससे वकील समुदाय की प्रतिष्ठा और गरिमा को ठेस पहुंची है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने निष्पक्ष, स्वतंत्र और कानूनी जांच की मांग की, जो किसी भी प्रकार के प्रभाव से मुक्त हो।”
यह मामला राज्यभर में वकीलों के बीच काफी रोष और एकजुटता का कारण बन गया है।