गुस्सैल पूर्व कर्नल ने अपने कंपाउड में फल तोड़ रहे लड़के को गोली मारी थी, सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, पढ़िए जजमेंट
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया और इसे गैर इरादतन हत्या का केस माना। पूर्व कर्नल पर अपने डिफेंस एन्क्लेव से फल तोड़ रहे एक लड़के की हत्या करने का आरोप था। उसे हत्या के लिए दोषी नहीं ठहराया गया और सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए उसे गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया।
कांडस्वामी रामराज को ट्रायल कोर्ट द्वारा धारा 302 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया गया था और मद्रास उच्च न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा था।
सुप्रीम कोर्ट में अपील
कर्नल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने उल्लेख किया कि आस-पास की कॉलोनी में रहने वाले लड़कों के लिए फल तोड़ने के लिए निषिद्ध रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करना एक सामान्य बात थी। यह अभियोजन का मामला था कि अभियुक्त ने मृतक को गोली मार दी थी, जब वह डिफेंस एन्क्लेव से फल तोड़ने का प्रयास कर रहा था।
पीठ ने यह भी कहा कि सेना के पूर्व अधिकारी के घरेलू नौकर से यह पता चला था कि वह गुस्सैल स्वभाव वाला व्यक्ति है और उन लड़कों का पीछा करता था जो बादाम लेने के लिए थैडफेंस कंपाउंड में कूदते थे। एक बार लड़कों ने कर्नल की कार की विंडशील्ड को भी नुकसान पहुंचाया था।
यह मानने के लिए कि अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध आईपीसी की धारा 300 के पहले अपवाद के तहत आ सकता है, पीठ ने देखा,
"रिकॉर्ड पर सबूतों को सावधानी से रखने के बाद और बच्चों के साथ पूर्व कर्नल के लगातार दौड़ भाग के दौरान अपीलकर्ता के स्वभाव के संबंध में, हमारा विचार है कि अपीलकर्ता ने आत्म-नियंत्रण की शक्ति से वंचित रहते हुए बच्चों द्वारा अचानक उकसाने पर अपराध किया। हमारे विचार में मृतक की हत्या करने का उसका कोई इरादा नहीं था।"
पीठ ने इसके बाद आरोपी को 10 साल के सश्रम कारावास और 2 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई और अगर इस जुर्माने का भुगतान नहीं हुआ तो तीन साल के लिए और कठोर कारावास से गुजरना होगा। यह जुर्माना वसूलने पर, पूरी राशि मृतक के माता-पिता को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
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