नॉन-कस्टोडियल माता-पिता को अच्छा समय बिताने और बच्चों के साथ का आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2022-04-19 04:48 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि नॉन-कस्टोडियल माता-पिता को बच्चों के साथ अच्छा समय बिताने और आनंद लेने के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, बच्चों को माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी दोनों के प्यार और स्नेह पाने का भी अधिकार है।

उक्त मामले में याचिकाकर्ता नॉन-कस्टोडियल माता-पिता है। उसके पिता की तबीयत खराब है और वह अपने पोते-पोतियों से मिलना चाहता है। याचिकाकर्ता नॉन-कस्टोडियल माता-पिता ने कहा कि जून, 2020 के बाद से उनकी बच्चों तक कोई पहुंच नहीं है। आरोप लगाया गया कि पिछले आदेश दिनांक 10/03/2022 में न्यायालय ने बच्चों के जन्मदिन पर मिलने की अनुमति दी थी, जिसका पालन नहीं किया गया।

जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा,

"बच्चों को भी माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी दोनों के प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है। यह व्यक्तिगत विकास और बच्चों के समग्र कल्याण के लिए आवश्यक है।"

एकल न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता पिता को बच्चों से चार दिन तक मिलने की अनुमति दी और मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया ताकि पक्ष सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंच सकें। मध्यस्थ को छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

आदेश में कहा गया,

"याचिकाकर्ता 14/04/2022 को दोपहर 3.00 बजे बच्चों की कस्टडी लेगा। याचिकाकर्ता बच्चों को 17/04/2022 को सुबह 11.00 बजे फीनिक्स मॉल में लाएगा और दोपहर 3.00 बजे तक एक साथ समय बिताएगा और प्रतिवादी मां को 17/04/2022 को दोपहर 3.00 बजे तक बच्चों की कस्टडी सौंपेगा।"

केस शीर्षक: गौरव सुरेश टिंगरे बनाम प्रियंका गौरव टिंगरे

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