"उत्तराखंड में नेपाली नागरिकों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण टीका नहीं लगाया जा रहा है": उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पत्र को याचिका के रूप में माना
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार (19 मई) को एक पत्र को 'पत्र याचिका' के रूप में स्वीकार करते हुई इस पर सुनवाई की। इस पत्र याचिका में कानून के एक छात्र ने बताया कि COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीनेश प्रक्रिया शुरू होने पर कई नेपाली नागरिकों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण वैक्सीन नहीं दी जा रही है।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ को दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के छात्र मेधा पांडे का एक पत्र मिला। इसमें कहा गया कि भारत में रह रहे कई नेपाली नागरिकों का वैक्सीनेशन नहीं किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किया गया है। आधार कार्ड वैक्सीनेशन के उद्देश्य से पंजीकरण के लिए आवश्यक है।
पत्र को एक पत्र याचिका के रूप में मानते हुए अदालत ने आदित्य प्रताप सिंह को मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को उनके पारिश्रमिक का भुगतान करने का निर्देश दिया।
राज्य के मुख्य सरकारी वकील ने अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा और एमिकस क्यूरी आदित्य प्रताप सिंह को एक सप्ताह की अवधि के भीतर इस याचिका में भारत सरकार को एक आवश्यक पक्ष के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया गया।
संबंधित समाचार में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील को राज्य में COVID-19 वैक्सीन की उपलब्धता के संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा है, विशेष रूप से 18-45 आयु वर्ग में आने वाले व्यक्तियों के संबंध में।
जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस सौरभ लावानिया की खंडपीठ ने एडवोकेट हरि प्रसाद गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया है।
विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए प्राथमिकता वाले वैक्सीनेशन की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने अधिवक्ता सिद्धार्थ सीम और जोसी के माध्यम से दो विकलांग व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ताओं में से एक को क्यफो स्कोलियोसिस के साथ-साथ बायां कंधा में पोलियो है और वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जबकि दूसरी याचिकाकर्ता को मिश्रित सेरेब्रल पाल्सी क्वाड्रिप्लेजिया है, जिससे उसे 90% स्थायी शारीरिक हानि हुई है।
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