न तो जांच अधिकारी और न ही लोक अभियोजक कार्यालय ने अग्रिम जमानत आदेश के खिलाफ याचिका को गंभीरता से फॉलो किया: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य से कार्रवाई करने को कहा

Update: 2023-03-22 11:38 GMT

Gujarat High Court

गुजरात हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि न तो जांच अधिकारी और न ही लोक अभियोजक के कार्यालय ने आरोपी को अग्रिम जमानत देने को चुनौती देने वाली राज्य की याचिका को गंभीरता से फॉलो किया, हाल ही में सचिव, गृह विभाग और सचिव, कानूनी विभाग को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

जस्टिस उमेश ए त्रिवेदी की एकल पीठ ने कहा,

“कागजों से खेदजनक स्थिति का अनुमान लगाया गया है। प्रतिवादी-आरोपी की अग्रिम जमानत का आदेश एक अगस्त 2019 को पारित होने के बाद से, इसे राज्य की ओर से चुनौती दी गई, वह भी आईओ के कहने पर।

वर्तमान आवेदन की 17.01.2020 को पुष्टि हुई और 18.01.2020 को दायर किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोक अभियोजक के कार्यालय या स्वयं जांच अधिकारी ने इसका गंभीरता से फॉलो नहीं किया है।"

एफआईआर के अनुसार, मुख्य आरोपी के घर में 5 दिसंबर, 2018 को 2,61,000/- रुपये नकदी मिली। आरोपी ने दलील दी कि उसने वर्तमान प्रतिवादी-अभियुक्त से उधार लिया था, जिसके लिए मुख्य आरोपी ने टैली सॉफ्टवेयर अकाउंट में एक प्रविष्टि भी पेश की थी।

वर्ष 2019 में प्रतिवादी-अभियुक्त को अग्रिम जमानत दी गई थी, जिसे राज्य ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।

जस्टिस त्रिवेदी ने पाया कि मुख्य आरोपी के लैपटॉप की एफएसएल ने जांच की थी और एफएसएल की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2,50,000/- की राशि देने की प्रविष्टि 12 दिसंबर, 2018 को दर्ज की गई थी, जब वर्तमान प्रतिवादी-आरोपी मुख्य आरोपी से मिले थे, यानी 6 दिसंबर, 2018 के बाद, न कि 2 दिसंबर, 2018 को, जैसा कि उन्होंने दावा किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि आवेदक के पक्ष में दिए गए अग्रिम जमानत के आदेश में दखल देने की जरूरत है। इसलिए, इसने 11 अप्रैल, 2023 को वापसी योग्य नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पिछले महीने राज्य के एपीपी को वर्ष 2019 से आज तक चार्जशीट दाखिल नहीं करने के संबंध में मामले के जांच अधिकारी का हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने कहा कि मामले को 24 जनवरी, 2020 के आदेश से 5 फरवरी, 2020 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था और उसके बाद कभी भी कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं किया गया और लोक अभियोजक के कार्यालय द्वारा कभी भी इसका गंभीरता से पालन नहीं किया गया।

इस प्रकार अदालत ने निर्देश दिया कि उसके आदेश को उचित कार्रवाई के लिए गृह विभाग और कानूनी विभाग को भेजा जाए।

केस टाइटल: गुजरात राज्य बनाम रामभाई नाथभाई लूना

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