यदि आवश्यक हो तो ट्रायल में अतिरिक्त मुद्दे किसी भी समय तय किए जा सकते हैं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान किसी भी समय अतिरिक्त मुद्दे तय किये जा सकते हैं। ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा एक अतिरिक्त मुद्दा तय करने के आवेदन को खारिज कर दिया गया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था।
जस्टिस अलका सरीन की पीठ ने हालांकि ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि पहले से तय किए गए मुद्दे पूरे विवाद को कवर करने के लिए पर्याप्त हैं।
अदालत ने कहा कि 2015 में कब्जे और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा दायर किया गया था और 2016 में मुद्दों को तैयार किया गया था। 19.09.2016 के आदेश के एक अवलोकन से पता चलता है कि अदालत द्वारा तय किए गए मुद्दों के अलावा कोई अन्य मुद्दा प्रस्तुत या दावा नहीं किया गया था। इसके बाद पक्षकारों ने अपने साक्ष्य प्रस्तुत किये और तर्क के स्तर पर एक अतिरिक्त मुद्दा तय करने के लिए वर्तमान आवेदन पेश किया, जिसे ट्रायल कोर्ट खारिज कर दिया।
अदालत ने आगे कहा कि आक्षेपित आदेश के अवलोकन से पता चलता है कि ट्रायल कोर्ट ने माना है कि मुद्दा नंबर 1 सभी मापदंडों पर पूरे विवाद को कवर करने के लिए पर्याप्त है।
याचिकाकर्ताओं का मामला यह था कि जिस मुद्दे को तय करने की मांग की गई थी, उसका सबूत पहले ही दिया जा चुका है और इसलिए एक अतिरिक्त मुद्दा तय करने से कार्यवाही में देरी नहीं होगी।
हालांकि कोर्ट ने माना कि यह सामान्य बात है कि किसी भी समय एक अतिरिक्त मुद्दा तय किया जा सकता है, हालांकि, यह देखा गया कि वर्तमान मामले में दोनों पक्षों को मुकदमे में शामिल विवाद के बारे में पूरी तरह से पता था और उन्होंने अपने अपने सबूत पेश किये और अपनी-अपनी दलीलें दीं, जो व्यापक हैं और पूरे विवाद को कवर कर सकते हैं।
हाईकोर्ट ने इस प्रकार ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल : कांता देवी और अन्य बनाम परिपुरन सिंह और अन्य
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