मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक दिन से कम समय का नोटिस देने वाले अधिकारियों को संपत्ति गिराने से रोका

Update: 2023-01-02 05:34 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ हाल ही में याचिकाकर्ता के बचाव में आई, जिसकी संपत्ति को संबंधित अधिकारियों द्वारा एक दिन से भी कम समय में नोटिस देकर ध्वस्त करने का आदेश दिया गया।

जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि पक्षों को सुनने के बाद यह तभी उचित होगा जब याचिकाकर्ता को उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए उचित समय दिया जाए।

कोर्ट ने कहा,

इसलिए प्रतिवादियों को निर्देश के साथ याचिका का निस्तारण किया जाता है कि वे 3 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं को भूमि के सीमांकन के संबंध में प्रासंगिक कागजात प्रदान करेंगे और उसके बाद याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर प्राधिकारी/प्रतिवादी नंबर दो के समक्ष अपना जवाब दाखिल करेगा। उसके बाद प्रतिवादी नंबर दो याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत उत्तर पर विचार करने के बाद कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करेगा। इस बीच प्रतिवादी मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के ग्राम नीमथुर में स्थित 0.066 हेक्टेयर क्षेत्रफल की अतिक्रमित भूमि सर्वेक्षण नंबर 442 के विवादित निर्माण को नहीं तोड़ेंगे। यह भी निर्देशित किया जाता है कि प्रतिवादी 7 दिनों के लिए उक्त आदेश पारित करने के बाद याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे और याचिकाकर्ताओं को सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने के लिए उचित समय प्रदान करेंगे।

सरकारी भूमि पर कथित रूप से निर्मित उसकी संपत्ति के विध्वंस के संबंध में प्रतिवादी प्राधिकरण द्वारा याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया। नोटिस 28.12.2022 को शाम 6:45 बजे दिया गया और याचिकाकर्ता को अगली सुबह तक अपना जवाब दाखिल करने के कहा गया, जिसके विफल होने पर संपत्ति को 29.12.2022 को ध्वस्त कर दिया गया होता। परेशान होकर याचिकाकर्ता ने कोर्ट का रुख किया।

याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसे सत्ताधारी दल के मौजूदा विधायक के खिलाफ चुनाव याचिका दायर करने के लिए पीड़ित किया जा रहा है। यह तर्क दिया गया कि नोटिस की सामग्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि याचिकाकर्ता को अपना जवाब दाखिल करने का उचित अवसर दिए बिना राजनीतिक कारणों से नोटिस दिया गया। अत: प्रार्थना की गई कि आक्षेपित नोटिस को निरस्त किया जाए।

इसके विपरीत, राज्य ने तर्क दिया कि संबंधित संपत्ति का निर्माण सरकारी भूमि पर किया गया और इसलिए उक्त नोटिस जारी किया गया। याचिकाकर्ता को अपना जवाब दाखिल करने का अवसर प्रदान किया गया। इसलिए यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता किसी भी राहत के लिए हकदार नहीं है।

रिकॉर्ड पर पार्टियों और दस्तावेजों की प्रस्तुतियों की जांच करते हुए न्यायालय ने उचित प्राधिकरण से संपर्क करने का उचित अवसर देने से पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने से राज्य को रोकना उचित पाया।

कोर्ट ने कहा,

रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि दिनांक 27.12.2022 का कारण बताओ नोटिस याचिकाकर्ताओं को 28.12.2022 को शाम लगभग 6:45 बजे दिया गया और उसे अगले ही दिन यानी 29.12.2022 को यह कहते हुए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया कि अन्यथा विचाराधीन निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाएगा। नोटिस में ही उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ताओं का पिछले 10 वर्षों से विवादित भूमि पर कब्जा है। इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने के लिए कुछ उचित समय देना उचित प्रतीत होता है और तब तक प्रतिवादियों को विवादित निर्माण को गिराने से रोकना आवश्यक है।

उपरोक्त टिप्पणियों के साथ याचिका का निस्तारण किया गया।

केस टाइटल: स्वर्गीय आर.एम. सोजतिया फाउंडेशन ट्रस्ट बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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