'मोदी उपनाम' टिप्पणी: गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर लगी रोक हटाई
गुजरात हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी के खिलाफ सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा अप्रैल 2019 करोल में राजनीतिक अभियान के दौरान की गई उनकी कथित टिप्पणी "सभी चोर मोदी सरनेम वाले क्यों होते हैं" के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक हटा दी।
जस्टिस विपुल एम. पंचोली की एकल न्यायाधीश पीठ ने याचिकाकर्ता के यह कहने के बाद रोक हटा ली कि निचली अदालत के रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य आ गए हैं और स्थगन आदेश से केवल मुकदमे में देरी होगी।
पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया कि इसने 'मोदी' उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया।
इससे पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ता ने भाषण से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पेश किए और गांधी को इसकी सामग्री की व्याख्या करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया।
मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उपरोक्त आवेदन खारिज करने और स्थगन के उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के बाद याचिकाकर्ता ने मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की थी।
गुजरात हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 07.03.2022 के आदेश के तहत ट्रायल पर स्टे ऑर्डर दिया था।
याचिकाकर्ता ने अब यह कहते हुए अपनी याचिका वापस लेने की मांग की कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पर्याप्त सामग्री रिकॉर्ड में आ गई।
केस टाइटल: पूर्णेश ईश्वरभाई मोदी बनाम गुजरात राज्य
कोरम: जस्टिस विपुल एम. पंचोली