जनता में बेबुनियाद आरोपों के आधार पर जजों की शिकायत करने और उन्हें बदनाम करके उन पर हावी होने की मानसिकता विकसित हो गई हैः इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सिविल केस को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आम जनता में जजों की शिकायत करने और निराधार आरोपों पर उन्हें बदनाम करने की मानसिकता विकसित हो गई है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद सरफराज ने पीठासीन अधिकारी, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के खिलाफ आरोप लगाकर मामले को सिविल जज (जूनियर डिवीजन), नगीना, जिला-बिजनौर की अदालत से बिजनौर की जजशिप में किसी अन्य सक्षम न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की थी।
जिला जज ने इस संबंध में याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी, जिसके बाद वह हाईकोर्ट चले गए थे। उनका आरोप था कि पीठासीन जज रिस्पॉन्डेंट नंबर 2 से 4 के प्रभाव में काम कर रहे थे।
अपने दावे को प्रमाणित करने के लिए याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 23 सितंबर, 2021 को प्रतिवादी संख्या 2 से 4 के पैरोकार और उनके वकील ने जज से उनके चैंबर में 15 मिनट तक मुलाकात की थी। आगे यह भी कहा गया कि प्रतिवादियों द्वारा आज तक कोई लिखित बयान दाखिल नहीं किया गया और निकट भविष्य में मुकदमे की सुनवाई समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है।
पीठासीन जज के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने शुरुआत में कहा,
"ट्रायल कोर्ट में पीठासीन अधिकारी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे समाज की मौजूदा प्रवृत्ति को दर्शाते हैं, जहां आम जनता में बेबुनियाद आरोपों के आधार पर जजों की शिकायत करने और उन्हें बदनाम करके उन पर हावी होने की मानसिकता विकसित हो गई है। हलफनामे में दिए आरोप इतने मामूली हैं कि उन्हें केवल खारिज किया जा सकता है।"
कोर्ट ने फैसले में कहा, ऐसे प्रवृत्तियों को कठोर हाथों से दबाने की आवश्यकता हैं और आवेदन को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। आवेदक को जुर्माने क राशि को जिला सेवा कानूनी प्राधिकरण, बिजनौर के खाते में 15 दिनों के भीतर जमा करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल- मोहम्मद सरफराज बनाम मोहम्मद आबिद और तीन अन्य [TRANSFER APPLICATION (CIVIL) No. - 528 of 2022]
केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 414