"कानून के तहत सभी जरूरी मदद दी जाएगी": विदेश मंत्रालय ने ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविकों के प्रत्यावर्तन के लिए दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वासन दिया

Update: 2021-07-27 11:29 GMT

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविकों को भारतीय मिशन की सहायता प्रदान की गई है। इसके साथ ही मंत्रालय ने न्यायालय को आश्वासन दिया है कि उन्हें कानून के तहत सभी जरूरी मदद प्रदान की जाएगी।

यह प्रगति तब हुई जब न्यायमूर्ति रेखा पल्ली एक ईरानी अदालत द्वारा एक साजिश के मामले में बरी होने के बाद भी ईरान में फंसे नाविकों के परिवारों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं।

उन्होंने ईरान सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने और पांचों नाविकों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय को निर्देश दिए जाने की मांग की थी।

सुनवाई के दौरान, मंत्रालय की ओर से पेश अधिवक्ता हर्ष वैद्यनाथन ने अदालत को अवगत कराया कि ट्रायल कोर्ट के फैसले को ईरानी सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया था। इसलिए याचिकाकर्ताओं द्वारा बरी किए जाने का आधार नहीं बनता है।

उन्होंने कहा,

"आज तक उनके द्वारा बरी किए जाने के मुद्दे पर बनाया गया आधार अब नहीं रहा।"

वैद्यनाथन ने कहा,

"वे सभी पांचों भारतीय मिशन के संपर्क में हैं और उन्हें एक होटल में रखा गया है। उन्हें टेलीफोन की सुविधा प्रदान की गई है। अगला कदम उसी के अनुसार उठाया जाएगा।"

दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गुरिंदर ने यह तर्क देते हुए उक्त रुख का खंडन किया कि नाविकों को एक होटल में नहीं बल्कि एक छात्रावास में रखा गया है।

इसलिए उन्होंने तीन सीमित प्रार्थनाओं पर जोर दिया यानी कानून में उपलब्ध जो भी कानूनी संसाधन हैं उन्हें प्रदान किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिनिधित्व के उद्देश्य के लिए उन्हें एक कानूनी सलाह दी जानी चाहिए कि पासपोर्ट और अन्य जरूरी पहचान संबंधी दस्तावेज उन्हें यह दिखाने के लिए प्रदान किए जाने चाहिए कि वे भारतीय नागरिक हैं। विदेश मंत्रालय द्वारा भी उन्हें यह कहते हुए एक पत्र जारी किया जाना चाहिए कि वे भारतीय नागरिक हैं।

उक्त दलीलों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मामले में स्थिति की रिपोर्ट मांगी और मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर की तारीख तय की।

संक्षेप में मामला यह है कि पांच नाविकों को संयुक्त अरब अमीरात में नौकरी का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, उन्हें ईरान ले जाया गया, जहां उन्हें एक कार्गो पोत में शामिल होने और नौकरशाही कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा गया।

पिछले साल फरवरी में ईरानी अधिकारियों द्वारा पोत में मारे गई छापे के दौरान कैप्टन सहित उपरोक्त नाविकों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस गिरफ्तारी के लिए उन पर गहरे समुद्र में नशीले पदार्थों की तस्करी की साजिश का आरोप लगाया गया था। इसके बाद जहाज के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

याचिकाकर्ताओं का यह मामला है कि ट्रायल कोर्ट ने इस साल नौ मार्च को सभी नाविकों को बरी कर दिया था। हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने 403 दिनों तक सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उनके पासपोर्ट और निरंतर निर्वहन प्रमाण पत्र सौंपने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ताओं की यह भी शिकायत है कि इस मामले को कथित तौर पर ईरान के सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें यह नहीं बताया गया कि इस पर अंतिम रूप से कब फैसला होने की संभावना है।

याचिका में कहा गया,

"जबकि मामला अभी भी ईरान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय नहीं किया गया है, नाविक अधर में लटके हुए हैं। वे न केवल ईरान में फंसे हुए हैं, उनके पास आय का कोई स्रोत भी नहीं है। उन्हें ईरान में कोई रोजगार नहीं मिला है और न ही मिल सकता है। वे वहां बिना किसी छत के रहने और बिना किसी स्रोत या आय की उम्मीद भीख माँगकर और उधार लेकर अपनी जीविका चला रहे हैं।"

यह याचिका तेहरान में विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास को दिए गए अभ्यावेदन और 10 जुलाई, 2021 के एक वीडियो संदेश पर भी निर्भर करती है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है।

"आज तक, भारत सरकार और विशेष रूप से विदेश मंत्रालय और तेहरान में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिक होने के नाते उन्हें कोई भी वित्तीय या कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके वे हकदार है। लंबे समय से ट्रायल और इंतजार ने भी इन पांच नाविकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी असर डाला है।"

केस शीर्षक: शाम नाथूराम येनपुरे और अन्य बनाम भारत संघ 

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