COVID 19 के दौरान फेस मास्क न पहनने पर एफआईआर दर्ज होने के कारण एक व्यक्ति को नहीं मिला पासपोर्ट : मद्रास हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर इसे जारी करने का निर्देश दिया
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में उस व्यक्ति को बड़ी राहत प्रदान की, जिसे एफआईआर के कारण पासपोर्ट नहीं मिल सका था। उसके खिलाफ यह एफआईआर कोरोना महामारी के दौरान दोपहिया चलाते वक्त कथित तौर पर फेस मास्क नहीं लगाने के आरोप में दर्ज किया गया था।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की एकल बेंच ने पासपोर्ट अधिकारियों को सभी अन्य शर्तों से संतुष्ट होने के बाद उसके आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया।
बेंच ने महत्वपूर्ण तौर पर यह टिप्प्णी की,
"केवल एफआईआर दर्ज करने को आपराधिक मुकदमे के तौर पर तब तक नहीं देखा जा सकता जब तक कि यह अंतिम रिपोर्ट के रूप में तब्दील नहीं हो जाता और सक्षम कोर्ट द्वारा इसका संज्ञान नहीं ले लिया जाता।"
कोर्ट के समक्ष मामला
हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गयी थी जिसमें याचिकाकर्ता ने अपना पासपोर्ट जारी करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने का कोर्ट से अनुरोध किया था। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने पत्राचार के जरिये आवेदनकर्ता से कहा था कि मदुरै के करुप्पायूरानी पुलिस स्टेशन के समक्ष उसके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज है।
इसलिए, याचिकाकर्ता को 16 अप्रैल, 2021 को पत्र भेजकर इस बात का स्पष्टीकरण मांगा गया था कि उसने आपराधिक मुकदमा लंबित होने के बारे में आवेदन में खुलासा क्या नहीं किया था। याचिकाकर्ता ने 22 अप्रैल 2021 को अपना जवाब भी भेज दिया था।
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि प्रतिवादियों ने उसके जवाब पर कोई कार्रवाई नहीं की और इसलिए उसके पास उचित दिशा निर्देशों के लिए रिट याचिका दायर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
कोर्ट का निर्देश
उपरोक्त दलीलों के मद्देनजर कोर्ट ने निर्देश दिया ,
"प्रतिवादियों को यह निर्देश है कि पासपोर्ट बनाने के लिए अन्य शर्तों को पूरी करने की स्थिति में इस आदेश की प्रति प्राप्त होने के दिन से चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करके पासपोर्ट जारी किया जाये। याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह इस आदेश की एक प्रति के साथ नये सिरे से अपना पक्ष रखे।"
इसके साथ ही, रिट याचिका का निपटारा कर दिया गया।