"ट्रांसफर से संबंधित अपारदर्शिता से बहुत चिंतित हैं" : चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी के ट्रांसफर की सिफारिश के खिलाफ मद्रास बार एसोसिशन के प्रस्ताव पारित किया

Update: 2021-11-14 08:34 GMT

मद्रास बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी को मेघालय हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिशों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

बार एसोसिएशन ने कहा कि वह इस प्रकार अचानक हुए "ट्रांसफर से संबंधित अपारदर्शिता से बहुत चिंतित है।" बार ने मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति टीएस शिवगनम के स्थानांतरण पर भी चिंता व्यक्त की, जिसकी अधिसूचना केंद्र द्वारा 11 अक्टूबर को कॉलेजियम की सिफारिशों के अनुसार जारी की गई।

बार के प्रस्ताव में कहा गया कि,

"स्थानांतरण, स्थानांतरण की प्रक्रिया के मेमो (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) का उल्लंघन है। इस तरह के स्थानांतरण को दंडात्मक माना जाता है और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए अच्छा नहीं है।"

इसलिए एसोसिएशन ने कॉलेजियम से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। एसोसिएशन ने भारत सरकार से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के स्थानांतरण के लिए तय प्रक्रिया के तहत इस मामले पर विचार करने के लिए प्रक्रिया का पालन करते हुए सीजे संजीब बनर्जी के संबंध में एससी कॉलेजियम को सिफारिश भेजने का अनुरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 सितंबर को जस्टिस बनर्जी के तबादले की सिफारिश करने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि ये सिफारिश 9 नवंबर को ही सार्वजनिक की गई।

इससे पहले जस्टिस संजीब बनर्जी को मेघालय हाईकोर्ट में स्‍थानान्त‌रित किए जाने के प्रस्ताव के बाद मद्रास हाईकोर्ट के 200 से अधिक अधिवक्ताओं ने चीफ ज‌स्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के अन्य चार सदस्यों को पत्र लिखा और अचानक लिए गए फैसले पर अपना रोष प्रकट किया।

237 अधिवक्ताओं ने अपनी नामांकन संख्या के साथ हस्ताक्षरित ज्ञापन को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के सदस्यों- सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और ज‌स्टिस एल नागेश्वर राव को संबोधित किया है।

क्या चीफ जस्टिस बनर्जी का स्थानांतरण 'जन हित' और 'न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए' है? शुरुआत में ज्ञापन इस तरह के हस्तांतरण के आधार पर सवाल उठाता है कि क्या निर्णय को "सार्वजनिक हित" और "न्याय के बेहतर प्रशासन के लिए" कहा जा सकता है..।

मद्रास हाईकोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान मुख्य न्यायाधीश बनर्जी ने COVID प्रबंधन, वैक्सीन वितरण, चुनाव संचालन, NEET-AIQ आरक्षण आदि से संबंधित मुद्दों में कई उल्लेखनीय हस्तक्षेप किए हैं। अप्रैल में मुख्य न्यायाधीश बनर्जी ने COVID महामारी के चरम के दौरान चुनावी रैलियों की अनुमति देने के लिए भारत के चुनाव आयोग के खिलाफ अपनी तीखी मौखिक टिप्पणियों के साथ सुर्खियां बटोरीं थीं। ।

एसोसिएशन न्यायमूर्ति टीएस शिवगनम के मद्रास उच्च न्यायालय से कलकत्ता और मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी के मेघालय में स्थानांतरण से संबंधित अपारदर्शिता से बहुत चिंतित है।

एसोसिएशन ने कहा,

" इस प्रकार तबादलों को मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर का उल्लंघन माना जाता है। इस तरह के तबादलों को दंडात्मक माना जाता है और यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए अच्छा नहीं है, इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि कॉलेजियम माननीय न्यायाधीशों के तबादलों पर पुनर्विचार करे।"

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