मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वकील को फटकार लगाई, अशोभनीय भाषा के इस्तेमाल पर चेतावनी दी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वकील को कार्यवाही के दौरान अदालत के प्रति अशोभनीय भाषा का प्रयोग करने पर चेतावनी दी। जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की पीठ ने वकील की बिना शर्त माफी स्वीकार करते हुए कहा कि भविष्य में यदि उन्होंने दोबारा ऐसी भाषा का प्रयोग किया तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
पीठ ने आदेश में उल्लेख किया,
"वादकारी पक्ष के एडवोकेट ने बहस के दौरान न्यायालय के संबंध में अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया, जिसके लिए उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी। उन्हें चेतावनी दी जाती है कि भविष्य में सावधान रहें। यदि पुनः अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया तो उचित कार्रवाई की जाएगी।"
यह मामला मुन्नालाल और अन्य तीन आरोपियों की जमानत अर्जी से जुड़ा है, जिन्हें शिकायतकर्ता अनीकेत पर लाठी, दरांती और कुल्हाड़ी से हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आदेश के अनुसार सह-आरोपियों के मामले में भी यह पाया गया कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता और अन्य लोगों से गाली-गलौज कर मारपीट की थी।
सुनवाई के दौरान अभियुक्त पक्ष और राज्य की ओर से पेश वकीलों के बीच शिकायतकर्ता की स्थिति और उसकी मौजूदगी को लेकर तीखी नोकझोंक हुई। इसी बीच आवेदक के वकील ने कथित रूप से अदालत के प्रति टिप्पणी कर दी।
राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि घायल अनीकेत को 15 जून 2024 को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 17 जून को छुट्टी दे दी गई थी। बाद में 3 जुलाई, 2024 को उसे फिर अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन छुट्टी की तारीख पुलिस रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं थी। इस संबंध में अतिरिक्त जानकारी मंगाने के लिए राज्य पक्ष ने समय मांगा।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर के लिए सूचीबद्ध की।
केस टाइटल: मुन्नालाल मेहरा बनाम मध्यप्रदेश राज्य (MCRC-16814-2025)