उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले की एक अदालत ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन और छह अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में धारा 3 (मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध) और 4 (मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सजा) के तहत आरोप तय किए हैं।
लाइव लॉ से बात करते हुए, अदालत में ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कुलदीप श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि 6 दिसंबर को अदालत द्वारा पीएमएलए मामले में कप्पन सहित 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं।
अक्टूबर 2022 में, लखनऊ सत्र अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उसके खिलाफ शुरू किए गए इस मामले के संबंध में कप्पन द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
ईडी ने फरवरी 2021 में कप्पन के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की। इस मामले में अन्य आरोपी के. ए. रऊफ शेरिफ, अतीकुर रहमान, मसूद अहमद, मोहम्मद आलम, अब्दुल रज्जाक और अशरफ खादिर हैं।
गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को हाथरस साजिश मामले में 6 अक्टूबर, 2020 से यूपी पुलिस की हिरासत में रहे कप्पन को जमानत दे दी थी। हालांकि, पीएमएलए मामले में उनकी जमानत खारिज होने के कारण कप्पन सलाखों के पीछे हैं।
कप्पन को अक्टूबर 2020 में यूपी पुलिस द्वारा अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वे हाथरस बलात्कार-हत्या अपराध की रिपोर्ट करने के लिए जा रहे थे। अब सलाखों के पीछे दो साल से अधिक समय बिता चुके हैं।
शुरुआत में उन्हें शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया था, बाद में, उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि वह और उनके सह-यात्री हाथरस गैंगरेप-हत्या के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक स्थानीय अदालत द्वारा पिछले साल जुलाई में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद कप्पन ने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था।
इस साल अगस्त में कप्पन को जमानत देने से इनकार करते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि हाथरस में उनके पास कोई काम नहीं था।
23 अगस्त को कप्पन के सह आरोपी कैब ड्राइवर मोहम्मद आलम को हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था। जमानत आदेश में कहा गया था कि कप्पन के कब्जे से आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई थी, लेकिन आलम के पास से ऐसी कोई सामग्री बरामद नहीं हुई थी।