गलत तरीके से संबद्धता दिखाने के आरोपों का सामना कर रहे स्कूल की जांच में शामिल विशेष अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में कहा, उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की गई

Update: 2023-09-21 13:50 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2024 में आईसीएसई बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के माता-पिता की याचिका पर सुनवाई जारी रखी, जिसमें सेंट ऑगस्टाइन डे स्कूल के अधिकारियों की चूक के कारण परिषद के साथ उनके बच्चों का पंजीकरण न होने की शिकायत की गई थी।

पिछले मौकों पर जस्टिस बिस्वजीत बसु की एकल पीठ ने आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध होने की स्थिति के बारे में स्कूल की कथित गलत बयानी पर कड़ा फटकार लगाई थी, जबकि ऐसी संबद्धता 2022 में रद्द कर दी गई थी।

न्यायालय ने इस मामले में डीएसजी बिल्‍वदल भट्टाचार्य को एक विशेष अधिकारी नियुक्त किया था, और उनसे अनुरोध किया था कि वे स्कूल का दौरा कर उनके रिकॉर्ड देखें और प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए 2024 में बोर्ड परीक्षा देने वाले कुल वास्तविक छात्रों की संख्या का पता लगाएं।

आज सुनवाई के दौरान, भट्टाचार्य ने कहा कि अदालत के निर्देश पर, उन्होंने अपनी टीम के साथ स्कूल परिसर का दौरा किया और रिकॉर्ड का अवलोकन किया, जिसे स्कूल अधिकारियों ने पूरी तरह से नहीं सौंपा था।

उन्होंने कहा, 

“उनके रिकॉर्ड गोदाम में थे...मैंने उनसे 9वीं और 10वीं कक्षा के लिए एक छात्र का रजिस्टर पेश करने के लिए कहा था...मैंने फोटोकॉपी ली और 7वीं कक्षा के बाद से 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए रजिस्टर मांगा ताकि प्रामाणिकता का पता लगाया जा सके। वे रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किये जा सके। मैंने शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक इंतजार किया... फिर भी उन्हें ताले की चाबियां नहीं मिलीं।

उन्होंने मुझे एक एक्सरसाइज बुक देने का प्रयास किया, जिसमें कहा गया था कि महामारी के दरमियान यहीं पर उपस्थिति ली जाती थी। संदिग्ध परिस्थितियां हैं...स्कूल के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच के लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को लगाया गया है।''

हालांकि, सुनवाई में तब मोड़ आ गया जब विशेष अधिकारी ने कहा कि स्कूल के अधिकारियों में से किसी ने स्कूल में उनके दौरे से पहले उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया था।

उन्होंने कहा,

“मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि स्कूल की ओर से भी विशेष अधिकारी को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी। इस तथ्य को भूलकर कि वकील बिकाऊ नहीं हैं... इसलिए मैंने फोन नंबर और कॉल डिटेल का स्क्रीनशॉट ले लिया है... इसीलिए जब मैं स्कूल गया, तो मैंने पानी की एक बूंद भी स्वीकार नहीं की।''

इन दलीलों को सुनने के बाद, न्यायालय ने कहा कि इन कार्रवाइयों से पता चलता है कि स्कूल अधिकारी कुछ छुपाना चाह रहे हैं और उन व्यक्तियों के खिलाफ उचित आपराधिक कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने न्यायालय के एक अधिकारी को प्रभावित करने का प्रयास किया था।

इसके बाद बेंच ने सीनियर एडवोकेट विकास रंजन भट्टाचार्य को बुलाया और उन्हें अपने मुवक्किलों की ओर से विशेष अधिकारी को 'रिश्वत देने की कोशिश' की स्थिति से अवगत कराया। वकील मामले में नए-नए जुड़े थे, उन्होंने तब स्कूल अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने से इनकार कर दिया और खुद को मामले से हटा लिया।

कोर्ट ने इस बात पर फिर से जोर दिया कि वर्तमान कार्यवाही का प्राथमिक उद्देश्य पीड़ित छात्रों को अन्य संबद्ध स्कूलों से अपनी बोर्ड परीक्षा देने में सक्षम बनाना होगा, जिसके बाद कानून के अनुसार स्कूल और स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।

गौरतलब है कि कोर्ट ने स्कूल की प्रबंध समिति और न्यासी बोर्ड को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था। यह बताया गया कि स्कूल ने अपने परिसर को स्थानांतरित करने के बाद पुन:संबद्धता के लिए आवेदन किया था, और उसी आवेदन पर परिषद द्वारा विचार-विमर्श किया जा रहा था, जिसके कारण उन्हें पुन:संबद्ध होने की उम्मीद पर कक्षा 9 और 10 में छात्रों को प्रवेश देना पड़ा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ने तर्क दिया कि माता-पिता असहाय स्थिति में थे और स्कूल की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों से बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।

केस टाइटल: स्वरूप पोद्दार और अन्य बनाम काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन और अन्य

केस नंबर: WPA 22094/2023

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