कोर्ट में मौजूद वकील ने स्थगन की मांग करते हुए बीमारी की पर्ची भेजी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन को सदस्यों के 'अनुचित व्यवहार' के बारे में सूचित करने के निर्देश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील (याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील) के व्यवहार की निंदा की, जिसने अदालत परिसर के भीतर मौजूद होने के बावजूद एक मामले में स्थगन की मांग करते हुए अदालत में अपनी बीमारी की पर्ची भेजी।
जिन परिस्थितियों में बीमारी की पर्ची भेजी गई थी, उसे देखते हुए न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने उन्हें अदालत के समक्ष बुलाया और उनसे प्रश्न पूछा गया कि क्या वह इस मामले में अदालत के समक्ष पेश हो रहे हैं।
वकील ने इसके जवाब में कहा कि वह इस मामले में पेश होता और आगे कहा कि वह अदालत में आया, लेकिन फिर उसे सिरदर्द हो रहा था, इसलिए उसने बीमारी की पर्ची भेजी थी।
न्यायालय ने वकील की इस प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी की कि,
"चंद्र हस मिश्रा (वकील) के इस कृत्य की निंदा की जाती है और यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि एक बार एक वकील अदालत में मौजूद होने के बाद उसे बीमारी की पर्ची नहीं भेजनी चाहिए थी, इस तरह की प्रथा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।"
अदालत ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता के वकील ठीक नहीं थे तो वह खुद खड़े हो सकते थे और अदालत को सूचित कर सकते थे कि उन्होंने सुबह बीमारी की पर्ची भेजी और पूरे दिन अदालत परिसर में थे।
प्रतिवादी के वकील ने भी याचिकाकर्ता के वकील के इस कृत्य पर आपत्ति जताई।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वकील ने माफी नहीं मांगी और अपने आचरण को सही ठहराने के लिए दलीलें दीं जो कोर्ट को स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट ने मामले को स्थगित कर दिया क्योंकि वकील बहस करने के लिए अनिच्छुक थे और यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी पक्ष को आगे कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा।
कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से निर्देश दिया कि आदेश की प्रति अवध बार एसोसिएशन की एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष को भेजी जाए ताकि समिति को सूचित किया जा सके कि बार के सदस्य कैसे व्यवहार कर रहे हैं और इस तरह के अनुचित व्यवहार में लिप्त हैं।
केस का शीर्षक - राम नाथ एंड अन्य बनाम उप निदेशक चकबंदी जिला हरदोई एवं अन्य।