लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने केएसएलयू के कुलपति के कथित तौर पर निर्धारित आयु सीमा के बाद भी पद पर रहने के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Update: 2022-02-18 13:00 GMT

एक गैर-लाभकारी संगठन, लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने कर्नाटक राज्य लॉ यूनिवर्सिटी (केएसएलयू) के कुलपति के रूप में कथित तौर पर 65 वर्ष की निर्धारित आयु सीमा के बाद भी अपने पद पर बने रहने वाले प्रो. (डॉ.) पी. ईश्वर भा पर सवाल उठाते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से शुक्रवार को पेश हुए एडवोकेट विट्टल बी आर ने कहा कि केएसएलयू अधिनियम, 2009 की धारा 14 में कुलपति के कार्यकाल का स्पष्ट रूप से उल्लेख है। वर्तमान कुलपति के जन्म का वर्ष जैसा कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में कहा गया है, 1955 है। इसलिए वर्ष 2020 में उन्होंने 65 वर्ष की निर्धारित आयु सीमा पूरी कर ली। हालांकि वे अब भी पद पर बने हुए हैं

एडवोकेट विट्टल ने यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से प्राप्त दस्तावेजों पर भरोसा किया।

जस्टिस एच टी नरेंद्र प्रसाद ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा,

"आप वेबसाइट के आधार पर कुछ भी सब्मिशन नहीं कर सकते, आपको प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।"

इसके बाद उन्होंने याचिकाकर्ताओं को प्रमाणित प्रतियां जमा करने के लिए दो मार्च तक का समय दिया।

उन्होंने कहा,

"पहले अदालत को संतुष्ट करें कि वह 65 साल की उम्र को पूरा कर चुके हैं। फिर हम अन्य बिंदुओं पर आगे बढ़ सकते हैं। आप उनकी सही जन्मतिथि पेश करें।"

याचिका के अनुसार, प्रो. (डॉ.) पी. ईश्वर भा (प्रतिवादी 4) को 13 जून, 2018 को केएसएलयू के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था।

यह कहा गया कि केएसएलयू अधिनियम, 2009 के अध्याय III में "यूनिवर्सिटी के अधिकारी" शीर्षक के तहत और अधिनियम के पृष्ठ संख्या 9,10, और 11 में धारा 14(5) के तहत, कुलपति के पद की अवधि  परिभाषित की गई है।

यह दावा किया गया कि वर्तमान वीसी ने पता होने के बावजूद कि उन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु पार कर ली है, उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और कार्यवाही की।

याचिका में केएसएलयू वीसी के पद से प्रतिवादी नंबर चार को तत्काल हटाने के लिए रिट के रूप में एक निर्देश जारी करने और प्रतिवादी नंबर यूनिवर्सिटी को आधिकारिक सेवानिवृत्ति की आयु के बाद प्राप्त सभी लाभों और धन को चुकाने के लिए एक निर्देश जारी करने की प्रार्थना की गई।

इसके अलावा, यह प्रार्थना की गई कि राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति को प्रतिवादी नंबर चार द्वारा हस्ताक्षरित और जारी सभी कार्यों, सर्कुलर्स और अधिसूचनाओं की घोषणा करने का निर्देश दिया जाए कि आयु पूरी होने के बाद वे प्रपत्र अवैध और शून्य हैं।

केस शीर्षक: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन बनाम कर्नाटक राज्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी 2125/2022

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