केरल हाईकोर्ट ने अंधविश्वास और मानव बलि के खिलाफ कानून बनाने की मांग वाली जनहित याचिका बहाल की

Update: 2023-06-23 08:24 GMT

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को बहाल कर दिया, जिसमें राज्य सरकार को 'केरल अमानवीय बुराई प्रथाओं, जादू-टोना और काला जादू उन्मूलन विधेयक, 2019' के अधिनियमन और कार्यान्वयन के संबंध में विचार करने और निर्णय लेने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

न्यायालय ने पहले याचिका को डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज कर दिया था, क्योंकि याचिकाकर्ता केरल युक्ति वादी संघम का कोई वकील न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ था।

चीफ जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी और जस्टिस बसंत बालाजी की खंडपीठ के समक्ष वकील पी.वी. जीवेश याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित हुए। उन्होंने पिछले दो मामलों में उपस्थित नहीं हो पाने का कारण बताया, जिसके बाद अदालत ने याचिका बहाल कर दी।

रजिस्टर्ड सांस्कृतिक संगठन, केरल युक्ति वादी संघम ने एलनथूर, पथानमथिट्टा में दो महिलाओं की मानव बलि की दो भयानक घटनाओं के मद्देनजर याचिका दायर की। राज्य कानून सुधार आयोग की अध्यक्षता जस्टिस के.टी. थॉमस ने 2019 में इस बिल पर सरकार को अपनी सिफारिशें दी थीं।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य में अंधविश्वास के संबंध में अपराध की कई घटनाएं लगातार देखी जा रही हैं।

याचिका में कहा गया,

"काले जादू और जादू-टोने के अंधविश्वास के संबंध में मानव बलि और अन्य प्रकार के हमलों के कई मामले सामने आए हैं। भगवान की कृपा, वित्तीय लाभ, नौकरी पाने, पारिवारिक समस्याओं का समाधान करने, बच्चों के जन्म और कई अन्य इच्छाओं के लिए कुछ लोग काला जादू और जादू-टोना कर रहे हैं, जिसके शिकार दलित वर्ग के लोग होते हैं और ज्यादातर बच्चे और महिलाएं इसके शिकार होते हैं।

न्यायालय को पहले सूचित किया गया कि राज्य सरकार मानव बलि और ऐसी अन्य अंधविश्वासी प्रथाओं के खिलाफ कानून बनाने पर विचार कर रही है। स्पष्ट प्रश्न पर राज्य अटॉर्नी ने अदालत को सूचित किया कि सरकार को इस पर विचार करना है कि इस मामले पर कानून बनाना है या नहीं और विधायी प्रक्रिया में कई चरण बाकी हैं।

केस टाइटल: केरल युक्ति वादी संघम बनाम भारत संघ एवं अन्य।

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