कर्नाटक हाईकोर्ट ने कल से शुरू होने वाले कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार किया

Update: 2020-07-29 15:33 GMT

कर्नाटक के हाईकोर्ट ने बुधवार को कल 30 जुलाई से शुरू होने वाले कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर रोक लग्गाने से इनकार कर दिया।

न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि परीक्षा देने के लिए आने वाले सभी छात्रों को सीईटी लिखने की अनुमति दी जानी चाहिए और COVID-19 पॉज़िटिव स्थिति को अग्रिम रूप से सूचित न कर पाने में विफलता के आधार पर उम्मीदवार को परीक्षा में शामिल होने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और उससे राज्य के मानक संचालन प्रक्रिया के तहत प्रदान किए गए तरीके से निपटा जाना चाहिए।

"... किसी भी आधार पर किसी छात्र को परीक्षा लिखने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अधिकारियों को मामलों के आधार पर छात्रों को परिवहन प्रदान करना चाहिए, न कि केवल COVID पॉज़िटिव छात्रों को।"

न्यायालय ने निर्देश दिया कि अधिकारियों को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और CET के संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया के दिशानिर्देशों का "सूक्ष्मता से पालन" करना चाहिए।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आज शाम 8 बजे से पहले SOP को KEA के वेब पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाए।

पीठ ने सरकार से कहा कि सभी कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि हॉल टिकट दिखाने पर कंटेंमेंट ज़ोन के छात्र उस एरिया से बाहर आ सकते हैं।

पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता ध्यान चिनप्पा से कहा,

"सभी पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों को इस बारे में ठीक से निर्देश दिया जाना चाहिए।"

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एम आई अरुण की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे 13 मई को जारी केसीईटी अधिसूचना को चुनौती देते हुए अदालत में आये।

"आप आखिरी समय पर आए थे। आप दो महीने से क्या कर रहे थे?", पीठ ने कहा।

कल, मुख्य न्यायाधीश अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य में COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (KCET) आयोजित करने के निर्णय पर पुनर्विचार करे और अपना जवाब दाखिल करे।

आज, सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने 30 जुलाई, 31 और 1 अगस्त को केसीईटी करवाना तय किया है।

इस मामले की सुनवाई आज जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एम आई अरुण की खंडपीठ ने की, जिसमें चीफ जस्टिस एएस ओका आज उपलब्ध नहीं थे।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने राज्य सरकार द्वारा 18 जुलाई को तैयार किए गए मानक संचालन प्रक्रिया के बारे में असंतोष व्यक्त किया, यह देखते हुए कि प्रासंगिक पहलू पर विचार किए बिना एसओपी तय किया गया है।

पीठ ने कर्नाटक सरकार के लिए पेश हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) ध्यान चिनप्पा से पूछा,

"सीईटी के शेड्यूल (18 मई) की घोषणा करने की तारीख से उल्लेखनीय बदलाव आए हैं। 18 जुलाई को तैयार एसओपी कई पहलुओं को संबोधित नहीं करता। क्या हम छात्रों को खतरे में डाल सकते हैं?"

"आप एसओपी के साथ देर से बाहर आए", पीठ ने एएजी से कहा।

पीठ ने यह भी देखा कि निर्णय "जल्दबाजी" में लिया गया और पूछा गया कि क्या परीक्षाएं स्थगित होने के कारण कोई "अपूरणीय क्षति या चोट" होगी।

एएजी ने उत्तर दिया कि परीक्षाओं के स्थगित होने के परिणामस्वरूप "सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान होगा क्योंकि व्यवस्था पहले से ही बनाई गई है।"

यह देखते हुए कि परीक्षा तय समय पर करवाने का निर्णय सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद लिया गया था, एएजी ने प्रस्तुत किया "आज हम तैयारी की स्थिति में हैं और छात्र भी तैयार हैं और इसलिए हमें परीक्षा करवानी चाहिए।"

पीठ ने विभिन्न परिदृश्यों के संबंध में एएजी से विस्तृत रूप से पूछा जो COVID-19 के कारण उत्पन्न हो सकते हैं। जब AAG ने प्रस्तुत किया कि अब तक 40 उम्मीदवारों को COVID-19 पॉजिटिव बताया गया है और उनके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था विशेष कमरों में परीक्षा लिखने के लिए की जाएगी तो पीठ ने पूछा: "मान लीजिए कि एक छात्र को आज या कल सुबह COVID-19 पॉजिटिव रिपोर्ट मिली। आप क्या करेंगे?"

इसके लिए, एएजी ने कहा कि उसके पास कोई जवाब नहीं है, लेकिन कहा: "मुझे बताया गया है कि हम अंतिम तिथि तक COVID रोगियों से अनुरोध स्वीकार कर रहे हैं।"

पीठ ने एएजी से यह भी पूछा कि क्या केसीईटी न दे पाने वाले छात्रों को दूसरा अवसर दिया जाएगा। एएजी ने जवाब दिया कि अभी तक सरकार ने उस पर निर्णय नहीं लिया है।

पीठ ने एसओपी में क्लॉज की व्यावहारिकता पर भी संदेह व्यक्त किया, जिसके अनुसार कन्टेनमेंट ज़ोन के एक छात्र को हॉल टिकट दिखाने पर माता-पिता के साथ बाहर आने की अनुमति दी जाएगी। 

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